Mumbai , 13 अगस्त . उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में विवाद को लेकर सियासत तेज हो गई है. इसी क्रम में एआईएमआईएम नेता फारूक शाब्दी ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि फतेहपुर में 207 साल पुरानी दरगाह पर कुछ लोगों ने जाकर झंडा लगाया और उपद्रव किया, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं. मेरा सवाल है कि अचानक ऐसी घटनाएं हर जगह क्यों बढ़ रही हैं? अगर कोई सबूत था, तो पहले लोग क्यों चुप थे? आज अचानक ऐसे कदम बर्दाश्त नहीं किए जा सकते. मेरा मानना है कि किसी को भी धार्मिक स्थल पर तोड़फोड़ करने या भावनाएं आहत करने का अधिकार नहीं है. वह स्थल चाहे मंदिर हो, मस्जिद, दरगाह या मदरसा हो.
उन्होंने राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए वोट चोरी के आरोप पर कहा कि हम राहुल गांधी की बात से पूरी तरह सहमत हैं. हमारी पार्टी भी इस मुद्दे पर पहले से सक्रिय थी. पिछले विधानसभा चुनाव में पांच साल तक वोटर संख्या में खास बदलाव नहीं हुआ, लेकिन Lok Sabha चुनाव से पहले सिर्फ पांच महीनों में वोटर संख्या अचानक बढ़ गई. इसका उदाहरण है सोलापुर, जहां मैंने खुद चुनाव लड़ा था और भाजपा के उम्मीदवार को, जिसे कोई पहचानता भी नहीं था, एक लाख से ज्यादा वोट मिल गए. यह चुनाव निष्पक्ष नहीं थे. हम राहुल गांधी के साथ मिलकर इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि हम भारतीय मुसलमान होने पर गर्व करते हैं. हमारे दिलों में तिरंगा है, हमें किसी कानून या फरमान की जरूरत नहीं कि देशभक्ति साबित करें. अगर यह कहा जाए कि मस्जिद में तिरंगा नहीं है तो उसे पाकिस्तान मानेंगे, तो यही नियम मंदिरों पर भी लागू होना चाहिए. क्या जिन हिंदू भाइयों के घर तिरंगा नहीं है, उन्हें पाकिस्तानी कहेंगे? भारत गंगा-जमुनी तहजीब वाला देश है, और जब देश की बात आएगी तो मुसलमान सबसे आगे रहेगा.
मथुरा में मुस्लिमों द्वारा कृष्ण भगवान की पोशाक बनाने के विवाद को लेकर उन्होंने कहा कि यह मुद्दा बेवजह बनाया जा रहा है. अगर कोई मुस्लिम कारीगर सबसे अच्छा काम करता है और भगवान कृष्ण के लिए पोशाक तैयार करता है, तो इसमें गलत क्या है? जैसे हम इलाज के लिए डॉक्टर की जात-पात नहीं देखते, वैसे ही कला और कौशल में धर्म नहीं देखा जाना चाहिए. अगर कृष्ण भगवान की मर्जी है, तो किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कबूतरखाना विवाद जिस कारण से शुरू हुआ, वह अब आम लोगों के लिए भी परेशानी बन गया है. कबूतर भी परिंदे हैं, उनकी बीमारियों से खतरा है तो समाधान ढूंढना चाहिए, न कि अचानक उनका खाना बंद कर देना चाहिए. सरकार को पहले वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए. बेजुबानों के साथ-साथ इंसानों की भी रक्षा हो.
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एएसएच/एबीएम
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