ठाणे, 13 अक्टूबर . शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के ने पूर्व सांसद राजन विचारे पर Monday को गंभीर आरोप लगाए. म्हास्के ने कहा कि जो व्यक्ति खुद भ्रष्टाचार का दोषी साबित हो चुका है, वह दूसरों पर उंगली उठाने का हकदार नहीं है.
शिवसेना सांसद नरेश म्हास्के पत्रकारों से बात करते हुए 1998 की नंदलाल समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया और विचारे को भ्रष्टाचार का मुख्य आरोपी ठहराया. उन्होंने कहा, “सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि धर्मवीर आनंद दिघे साहेब ने जिसे भ्रष्टाचारी करार दिया था, वही आज भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चा निकालने की बात कर रहा है. 1996 में दिघे साहेब ने खुद मनपा के लोकप्रतिनिधियों पर आरोप लगाया था कि वे ठेकेदारों से 40-41 प्रतिशत कमीशन वसूलते हैं. बिल पास करवाने के लिए 41 प्रतिशत रकम देनी पड़ती है.”
उन्होंने बताया कि जब शिवसेना की Government थी और मनोहर जोशी Chief Minister थे, तब भ्रष्टाचार की जांच के लिए नंदलाल समिति गठित की गई. 1998 में आई रिपोर्ट में राजन विचारे को ही मुख्य आरोपी पाया गया. म्हास्के ने व्यंग्य किया, “और आज वही विचारे दूसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, यह दुनिया का आठवां आश्चर्य है. ‘सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली’ यही उनकी स्थिति है.”
म्हास्के ने आगे कहा कि जब विचारे को दोषी ठहराया गया, तब मनपा महासभा में कार्रवाई न करने का प्रस्ताव लाया गया, लेकिन Government ने इसे खारिज कर दिया. न्यायिक प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन दोषी व्यक्ति ही अब प्रस्ताव दर्ज करने की बात कर रहा है. महापौर रहते विचारे के फैसले पर उन्होंने कहा, “उल्टा चोर कोतवाल को डांटे जैसी हालत हो गई है.” उन्होंने सवाल उठाया कि जिन दिघे साहेब ने विचारे पर आरोप लगाए, उन्हें दूसरों को भ्रष्टाचारी कहने का अधिकार किसने दिया? अगर दिघे साहेब के आरोप झूठे थे, तो विचारे को स्पष्ट करना चाहिए. साथ ही, मोर्चे में शामिल केदार दिघे से भी जवाब मांगा.
म्हास्के ने राष्ट्रवादी पार्टी के मोर्चे में शामिल होने की खबर पर तंज कसते हुए कहा, “जितेंद्र आव्हाड ने ही विचारे की गिरफ्तारी की मांग के पोस्टर लगवाए थे. अब उनसे सवाल पूछिए.” उन्होंने चेतावनी दी, “ये वही लोग हम पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं जो खुद दोषी हैं. वे ही जेल जाएंगे. क्या विचारे में हिम्मत है कि नंदलाल समिति की जांच फिर से करवाई जाए?”
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एससीएच
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