Mumbai , 10 जुलाई . सार्वजनिक गणेशोत्सव की सदियों पुरानी परंपरा को Thursday को आधिकारिक रूप से ‘महाराष्ट्र का राजकीय उत्सव’ घोषित कर दिया गया. राज्य के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने विधानसभा में यह घोषणा की.
विधानसभा को संबोधित करते हुए मंत्री शेलार ने कहा, “महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत लोकमान्य तिलक ने 1893 में की थी. इस उत्सव का मूल सार सामाजिक एकता, राष्ट्रवाद, स्वतंत्रता की भावना, स्वाभिमान और अपनी भाषा पर गर्व है. यह महान परंपरा आज भी जारी है. गणेशोत्सव केवल एक उत्सव नहीं है, यह महाराष्ट्र के सांस्कृतिक गौरव और पहचान का प्रतीक है.”
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार राज्य और देशभर में गणेशोत्सव की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, संवर्धन और उत्सव के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हालांकि कुछ लोगों ने विभिन्न अदालती याचिकाएं दायर करके इस सदियों पुरानी सार्वजनिक परंपरा को बाधित करने का प्रयास किया, उत्सव में बाधा डालने का प्रयास किया. फिर भी, Chief Minister देवेंद्र फडणवीस, उपChief Minister एकनाथ शिंदे और उपChief Minister अजित पवार के नेतृत्व में महायुति सरकार ने त्वरित कार्रवाई की और निर्णायक रूप से ऐसी सभी बाधाओं को दूर किया.
मंत्री आशीष शेलार ने कहा कि पिछली सरकार के दौरान सीपीसीबी के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए पारंपरिक पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगाए गए थे, लेकिन कोई व्यावहारिक विकल्प नहीं दिया गया था. इसके विपरीत हमारे विभाग ने इस मुद्दे पर अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया. हमने पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों की खोज और यह आकलन करने के लिए एक व्यापक अध्ययन शुरू किया कि क्या पीओपी वास्तव में पर्यावरण के लिए हानिकारक है. हमने राजीव गांधी विज्ञान आयोग के माध्यम से काकोदकर समिति द्वारा एक गहन अध्ययन करवाया. इसके बाद केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने निष्कर्षों को मंजूरी दी और पहले लगाए गए प्रतिबंध हटा दिए गए. न्यायालय के निर्णय के अनुसार, अब पीओपी की मूर्तियों के निर्माण, प्रदर्शन और बिक्री की अनुमति है.
उन्होंने कहा कि महायुति सरकार ने गणेशोत्सव पर स्पष्ट और सक्रिय रुख अपनाया है. चाहे पुलिस सुरक्षा हो, बुनियादी ढांचे की जरूरत हो, या पुणे, Mumbai जैसे शहरों और पूरे राज्य में भव्य समारोहों के लिए वित्तीय सहायता हो, महाराष्ट्र सरकार सभी आवश्यक खर्च वहन करेगी. गणेशोत्सव को पूरे उत्साह के साथ मनाना केवल एक परंपरा ही नहीं, बल्कि महायुति सरकार की एक प्रमुख मान्यता है. मैं सभी गणपति मंडलों से अपील करता हूं कि वे अपने उत्सवों में ऐसे विषय शामिल करें, जो हमारी सशस्त्र सेनाओं का सम्मान करें, सामाजिक पहलों, ऑपरेशन सिंदूर को प्रदर्शित करें, देश के विकास के कामों की उपलब्धियों को उजागर करें और अपने सजावटी प्रदर्शनों में हमारे महान नेताओं को भी शामिल करें. इस गणेशोत्सव में सामाजिक चेतना, पर्यावरणीय जिम्मेदारी और उत्सव का आनंद झलकना चाहिए. गणेशोत्सव को ‘महाराष्ट्र का राजकीय उत्सव’ घोषित करते हुए हमें सचमुच बहुत गर्व हो रहा है.
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एकेएस/एकेजे
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