अक्सर हम अपने शरीर के संकेतों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये छोटे-छोटे संकेत हमारी सेहत की गंभीर समस्याओं की तरफ इशारा करते हैं. ऐसा ही एक संकेत है- काला रंग का मल (Black Stool). नॉर्मली, मल का रंग भूरे या पीले रंग का होता है, लेकिन जब यह काला हो जाए तो इसे हल्के में लेना खतरे से खाली नहीं. यह कई बार किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकता है.
काले मल का मतलब सिर्फ रंग बदलना नहीं है, बल्कि मल का गाढ़ा, चिपचिपा और दुर्गंध होना चिंता की बात होती है. मेडिकल भाषा में इसे मेलेना (Melena) कहा जाता है. इसमें मल में पच चुका खून शामिल होता है, जो आमतौर पर पाचन तंत्र के ऊपरी हिस्से से आता है.
काला मल आने के संभावित कारण
1. पाचन तंत्र से ब्लीडिंग: सबसे नॉर्मल और खतरनाक कारण होता है जठरांत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) ट्रैक्ट से इंटरनल ब्लीडिंग. जब ऊपरी पाचन तंत्र (पेट, ग्रासनली या डुओडेनम) से खून बहता है और वह पचते हुए मल में मिल जाता है, तो उसका रंग काला हो जाता है.
2. पेट में अल्सर: यदि किसी व्यक्ति को पेट में अल्सर है और उसमें से ब्लीडिंग हो रहा है, तो वह मल में शामिल हो सकता है और मल काले रंग का हो जाता है.
3. गैस्ट्रिक कैंसर या ट्यूमर: पेट या आंतों में किसी प्रकार का कैंसर या घातक ट्यूमर भी ब्लीडिंग कर सकता है.
4. दवाओं का प्रभाव: आयरन सप्लीमेंट्स या कुछ विशेष दवाएं, जैसे कि नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) या बिस्मथ वाली दवाएं (जैसे पेप्टो-बिस्मोल), भी काले रंग के मल का कारण बन सकती हैं. हालांकि ये खून के कारण नहीं होता, फिर भी डॉक्टर की सलाह जरूरी है.
5. लिवर या एसोफैगियल वेरिसेस: लिवर की बीमारी के कारण ग्रासनली में फूली हुई नसों से ब्लीडिंग हो सकता है, जिससे भी काला मल आ सकता है.
किन लक्षणों के साथ काला मल खतरे की घंटी है?
यदि काले रंग के मल के साथ ये लक्षण भी नजर आएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
* पेट में तेज या लगातार दर्द
* उल्टी में खून आना या कॉफी जैसा रंग होना
* चक्कर आना, कमजोरी या बेहोशी
* हार्ट रेट तेज होना
* सांस लेने में कठिनाई
* वजन में अचानक गिरावट
* बुखार या पसीना
क्या हमेशा काला मल खतरनाक होता है?
जरूरी नहीं कि हर बार काला मल खतरनाक हो. कभी-कभी जो फूड या दवाएं ली जाती हैं, वे भी मल का रंग बदल सकती हैं, जैसे- ब्लूबेरी, चुकंदर या काले अंगूर खाने से, आयरन टैबलेट्स या चारकोल रिच सप्लीमेंट्स लेने से ऐसे मामलों में मल का रंग कुछ दिनों में नॉर्मल हो जाता है. लेकिन अगर रंग लगातार काला बना रहे और लक्षण बिगड़ें, तो मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है.
डायग्नोस कैसे किया जाता है?
* डॉक्टर आमतौर पर इन जांचों की सलाह देते हैं:
* फिजिकल एग्जाम और मेडिकल हिस्ट्री
* फीकल ब्लड टेस्ट (FOBT)- मल में छिपे खून की जांच
* एंडोस्कोपी या कोलोनोस्कोपी- पाचन तंत्र का अंदर से टेस्ट
* ब्लड टेस्ट- एनीमिया या इन्फेक्शन की जांच
* CT स्कैन या अल्ट्रासाउंड अंदरूनी अंगों की जांच
इलाज क्या है?
इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि काले मल का असली कारण क्या है. यदि यह अल्सर है, तो एंटी-एसिड या एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं. यदि ब्लीडिंग तेज है, तो इमरजेंसी एंडोस्कोपी की जाती है और जरूरत पड़ने पर ब्लड ट्रांसफ्यूजन भी. कैंसर या ट्यूमर की स्थिति में सर्जरी या कीमोथेरेपी की आवश्यकता हो सकती है.
क्या करें
* मल के रंग पर नजर रखें
* खून की कमी महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें
* आयरन या बिस्मथ युक्त दवाएं लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें
क्या न करें
* बार-बार काले मल को नजरअंदाज न करें
* खुद से दवाएं लेना बंद न करें या शुरू न करें
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