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क्या है Who-Fi टेक्नोलॉजी, कैसे हो रही जासूसी? प्राइवेसी पर मंडराया खतरा

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AI के आने से टेक्नोलॉजी तेजी से एडवांस तो हो रही लेकिन साथ ही प्राइवेसी से जुड़े खतरे भी बढ़ने लगे हैं जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. किसी की पहचान करनी हो तो कैमरा की जरूरत पड़ती थी लेकिन अब Who-Fi के जरिए बिना कैमरा किसी भी व्यक्ति की पहचान की जा सकेगी. चौंक गए, लेकिन ये सच है. Who-Fi एक एडवांस टेक्नोलॉजी है जो बिना कैमरा किसी भी व्यक्ति की एक्टिविटी को ट्रैक करने या फिर किसी व्यक्ति की पहचान करने में सक्षम है. इस काम के लिए ये टेक्नोलॉजी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का इस्तेमाल करती है.

कैसे काम करती है Who-Fi टेक्नोलॉजी?

ऑनलाइन जर्नल arXiv में पब्लिश शोध पत्र के मुताबिक, सामान्य 2.4 गीगाहर्ट्ज WiFi सिग्नल का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की पहचान और गतिविधि यानी एक्टिविटी को ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है.यह तकनीक न केवल पहचान की पुष्टि यानी ऑथेंटिकेशन बल्कि निगरानी (Surveillance) में भी अहम भूमिका निभा सकती है. हालांकि, इस नई टेक्नोलॉजी के चलते डिजिटल प्राइवेसी और सिक्योरिटी को लेकर कई सवाल उठने लगे हैं.

Who-Fi सिस्टम दो चीजों का इस्तेमाल करता है, पहला तो Wi-Fi सिग्नल और दूसरा ट्रांसफॉर्मर बेस्ड न्यूरल नेटवर्क (जिसे लॉर्ज लैंग्वेज मॉडल भी कहते हैं). ये सिस्टम WiFi सिग्नल में हो रहे बदलाव को पढ़ता है, जिसे चैनल स्टेट इंफॉर्मेशन कहते हैं. यह देखा जाता है कि कमरे में WiFi सिग्नल किस तरह से काम कर रहा है और जब सिग्नल किसी व्यक्ति के शरीर से टकराकर लौटता है तो उसकी ताकत और दिशा में क्या बदलाव आता है? कुछ उसी तरह जैसे रडार या सोनार सिस्टम काम करते हैं.

जब कोई व्यक्ति WiFi सिग्नल के पास होता है तो उसकी मौजूदगी सिग्नल के रास्ते में एक अलग पैटर्न बनाती है. यह पैटर्न इतना यूनिक होता है कि इसे उंगलियों के निशान, चेहरे की बनावट या आंख के रेटिना जैसी बॉयोमीट्रिक पहचान की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है.

एक बार ट्रेन्ड होने के बाद ये सिस्टम न केवल व्यक्ति की गतिविधियों पर नजर रख सकता है, बल्कि लंबे समय के बाद नेटवर्क क्षेत्र में दोबारा किसी व्यक्ति की एंट्री के बाद उनकी पहचान भी कर सकता है.यह शरीर की गतिविधियों का डेटा भी कैप्चर कर सकता है और साइन लैंग्वेज की पहचान कर सकता है. इस सिस्टम की मुख्य बात ये है कि ये बिना कैमरे और माइक्रोफोन जैसे किसी भी सेंसर के बिना काम करती है. अध्ययन के अनुसार, Who-Fi सिस्टम के लिए एक सिंगल-एंटीना ट्रांसमीटर और तीन-एंटीना रिसीवर की आवश्यकता होती है, जिससे इसकी तैनाती सस्ती हो जाती है.

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