जनरल इंश्योरेंस कंपनियों ने धोखाधड़ी वाले चिकित्सा दावों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है, जिसमें FIR दर्ज करना भी शामिल है। सूत्रों के अनुसार, कंपनियां छोटे-छोटे दावों के लिए भी कार्रवाई कर सकती हैं।
FIR दर्ज करने का निर्णय
पहले, कंपनियां कानूनी प्रक्रिया को लेकर हिचकिचा रही थीं, लेकिन अब बीमा कंपनियों ने वास्तविक पॉलिसीधारकों की सुरक्षा के लिए FIR दर्ज करने का निर्णय लिया है।
धोखाधड़ी का प्रभाव
एक प्रमुख जनरल इंश्योरेंस कंपनी के CEO ने कहा कि धोखाधड़ी वाले दावों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्णय लिया गया है ताकि कुल दावों पर नियंत्रण रखा जा सके। उन्होंने बताया कि ऐसे धोखाधड़ी के मामलों ने वास्तविक पॉलिसीधारकों को भी प्रभावित किया है।
छोटे धोखाधड़ी के मामलों पर कार्रवाई
एक वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा, "पहले हम धोखाधड़ी वाले दावों का पता लगाते थे और उन्हें अस्वीकार कर देते थे, लेकिन FIR दर्ज करने से बचते थे। अब यह बदल रहा है। 20,000 रुपये तक के छोटे धोखाधड़ी के मामलों पर भी कार्रवाई की जा रही है क्योंकि ये बड़े नुकसान में बदल सकते हैं।"
बीमा प्रीमियम पर प्रभाव
सूत्रों ने बताया कि यह कदम धोखाधड़ी वाले दावों की जांच करके प्रीमियम में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए है, क्योंकि सरकार के बीमा नियामक IRDAI, प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्तीय सेवाओं के विभाग ने कंपनियों से स्वास्थ्य बीमा को अधिक सस्ती बनाने के लिए कहा है।
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