मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी प्रदेश कार्यकारिणी के साथ चार मोर्चा अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा कर दी है। अब बाकी तीन मोर्चा अध्यक्षों की नियुक्ति पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है। केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से महिला मोर्चा अध्यक्ष का नाम लगभग तय हो चुका है, जबकि अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष के चयन में सावधानी बरती जा रही है। भाजपा के युवा मोर्चा अध्यक्ष के नाम पर अभी तक प्रदेश के नेताओं में सहमति नहीं बन पाई है, इसलिए यह संभावना जताई जा रही है कि इसका नाम दिल्ली से ही तय होगा।
घोषित चार मोर्चा अध्यक्ष
23 अक्टूबर को भाजपा की 25 सदस्यीय प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में चार मोर्चा अध्यक्षों की घोषणा की गई थी। जयपाल सिंह चावड़ा को किसान मोर्चा, भगवान सिंह परमार को अनुसूचित जाति मोर्चा, पंकज टेकाम को अनुसूचित जनजाति मोर्चा और पवन पाटीदार को पिछड़ा वर्ग मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। अभी युवा मोर्चा, महिला मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्षों की नियुक्ति बाकी है।
युवा मोर्चा अध्यक्ष का महत्व
भारतीय जनता पार्टी में युवा मोर्चा अध्यक्ष को प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों के समान प्रभावशाली माना जाता है। इसलिए पार्टी के वरिष्ठ नेता अपने समर्थकों को यह पद दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इस पद का महत्व इस बात से भी है कि युवाओं को पार्टी के बड़े अभियानों और कार्यक्रमों की सफलता की कुंजी माना जाता है। इसके अलावा, युवा मोर्चा अध्यक्ष को सरकार और संगठन में आगे भी महत्वपूर्ण अवसर मिलते रहते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा जैसे नेता युवा मोर्चा के महत्वपूर्ण दायित्वों से ही संगठन में आए हैं।
अल्पसंख्यक मोर्चा में चुनौतियाँ
भाजपा में अल्पसंख्यक मोर्चा अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर विचार-विमर्श जारी है। इसका मुख्य कारण भोपाल में हाल ही में सामने आया 'मछली कांड' है। इस मामले में मुख्य आरोपी यासीन अहमद के चाचा पार्टी में भोपाल जिला अध्यक्ष थे, जिन्होंने आरोप लगने पर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब प्रदेश, जिला और मंडल स्तर पर पार्टी पदाधिकारियों का चयन कार्यकर्ताओं की छवि और समाज में उनके वर्चस्व के आधार पर किया जाएगा।
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