NPCIL की लेटेस्ट रिपोर्ट में सामने आया है कि भारत में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR) लगाने के लिए कई बड़ी कंपनियां आगे आ रही हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी पावर सहित 6 प्राइवेट कंपनियों ने इस प्रोजेक्ट में अपनी रुचि दिखाई है और देश के 6 राज्यों में कुल 16 संभावित जगहों की पहचान की है।
इन बड़ी कंपनियों में जिंदल स्टील एंड पावर, टाटा पावर, हिंदाल्को इंडस्ट्रीज और जेएसडब्ल्यू एनर्जी भी शामिल हैं, जिन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में साइट्स की रिपोर्ट सबमिट की है। यह कदम भारत के न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में नई गति लाने वाला माना जा रहा है।
NPCIL ने निजी कंपनियों को दिया मौका
भारत की सरकारी कंपनी NPCIL ने अब कुछ प्राइवेट कंपनियों को दो नए छोटे परमाणु रिएक्टर बनाने का मौका दिया है, जो देश के सभी परमाणु बिजली घर चलाती है। ये रिएक्टर 220 मेगावाट के होंगे और इन्हें कंपनियां अपनी जरूरत के लिए इस्तेमाल करेंगी। शुरू में इन रिएक्टरों के लिए प्रस्ताव देने की आखिरी तारीख 30 सितंबर थी, लेकिन अब इसे 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है ताकि ज्यादा कंपनियां भाग ले सकें।
कौन-कौन सी कंपनियां दिलचस्पी दिखा रही हैं?
हिंदाल्को, जिंदल स्टील, टाटा पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस काम के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा कर लिए हैं और जरूरी कानूनी समझौते भी पूरे कर लिए हैं। इसके अलावा, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और अडानी पावर भी इस प्रोसेस में हैं और उनके डॉक्यूमेंट चेकिंग की प्रोसेस में हैं। इसका मतलब है कि ये कंपनियां जल्द ही इस प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं।
प्रोजेक्ट की देखरेख और संचालन
इन परमाणु रिएक्टरों का निर्माण और संचालन NPCIL की निगरानी में होगा। इसका मतलब है कि कंपनी रिएक्टर पर पूरा नियंत्रण रखेगी और मालिक भी बनी रहेगी। जो कंपनियां इस काम को हासिल करेंगी, उन्हें इस रिएक्टर से बनने वाली बिजली का इस्तेमाल करने का अधिकार मिलेगा।
पूंजी और खर्च का मैनेजमेंट
जो कंपनियां ये रिएक्टर बनाना चाहती हैं, उन्हें पूरे प्रोजेक्ट के लिए जरूरी पूंजी और संचालन का खर्च खुद उठाना होगा। इसके साथ ही, उन्हें एनपीसीआईएल को प्रोजेक्ट के पूरे जीवन काल में होने वाले खर्चों जैसे तैयारियों से लेकर बंद करने तक की रकम वापस करनी होगी। बदले में, उन्हें अपनी जरूरत के लिए बिजली लंबे समय तक मिलती रहेगी।
किस क्षेत्र में होगा इस्तेमाल
ये छोटे परमाणु रिएक्टर खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होंगे, जहां बहुत ज्यादा बिजली की जरूरत होती है जैसे कि स्टील, एल्यूमीनियम और सीमेंट फैक्ट्री। इसके अलावा, इन्हें उन जगहों पर भी लगाया जा सकता है जहां पुराने थर्मल पावर प्लांट बंद हो चुके हैं। हर रिएक्टर में कई सुरक्षा उपाय होंगे। इसमें ऐसे सिस्टम होंगे जो किसी भी दुर्घटना को रोकने या नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
इन बड़ी कंपनियों में जिंदल स्टील एंड पावर, टाटा पावर, हिंदाल्को इंडस्ट्रीज और जेएसडब्ल्यू एनर्जी भी शामिल हैं, जिन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में साइट्स की रिपोर्ट सबमिट की है। यह कदम भारत के न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में नई गति लाने वाला माना जा रहा है।
NPCIL ने निजी कंपनियों को दिया मौका
भारत की सरकारी कंपनी NPCIL ने अब कुछ प्राइवेट कंपनियों को दो नए छोटे परमाणु रिएक्टर बनाने का मौका दिया है, जो देश के सभी परमाणु बिजली घर चलाती है। ये रिएक्टर 220 मेगावाट के होंगे और इन्हें कंपनियां अपनी जरूरत के लिए इस्तेमाल करेंगी। शुरू में इन रिएक्टरों के लिए प्रस्ताव देने की आखिरी तारीख 30 सितंबर थी, लेकिन अब इसे 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है ताकि ज्यादा कंपनियां भाग ले सकें।
कौन-कौन सी कंपनियां दिलचस्पी दिखा रही हैं?
हिंदाल्को, जिंदल स्टील, टाटा पावर और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इस काम के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट इकट्ठा कर लिए हैं और जरूरी कानूनी समझौते भी पूरे कर लिए हैं। इसके अलावा, जेएसडब्ल्यू एनर्जी और अडानी पावर भी इस प्रोसेस में हैं और उनके डॉक्यूमेंट चेकिंग की प्रोसेस में हैं। इसका मतलब है कि ये कंपनियां जल्द ही इस प्रोजेक्ट में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं।
प्रोजेक्ट की देखरेख और संचालन
इन परमाणु रिएक्टरों का निर्माण और संचालन NPCIL की निगरानी में होगा। इसका मतलब है कि कंपनी रिएक्टर पर पूरा नियंत्रण रखेगी और मालिक भी बनी रहेगी। जो कंपनियां इस काम को हासिल करेंगी, उन्हें इस रिएक्टर से बनने वाली बिजली का इस्तेमाल करने का अधिकार मिलेगा।
पूंजी और खर्च का मैनेजमेंट
जो कंपनियां ये रिएक्टर बनाना चाहती हैं, उन्हें पूरे प्रोजेक्ट के लिए जरूरी पूंजी और संचालन का खर्च खुद उठाना होगा। इसके साथ ही, उन्हें एनपीसीआईएल को प्रोजेक्ट के पूरे जीवन काल में होने वाले खर्चों जैसे तैयारियों से लेकर बंद करने तक की रकम वापस करनी होगी। बदले में, उन्हें अपनी जरूरत के लिए बिजली लंबे समय तक मिलती रहेगी।
किस क्षेत्र में होगा इस्तेमाल
ये छोटे परमाणु रिएक्टर खासतौर पर उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद होंगे, जहां बहुत ज्यादा बिजली की जरूरत होती है जैसे कि स्टील, एल्यूमीनियम और सीमेंट फैक्ट्री। इसके अलावा, इन्हें उन जगहों पर भी लगाया जा सकता है जहां पुराने थर्मल पावर प्लांट बंद हो चुके हैं। हर रिएक्टर में कई सुरक्षा उपाय होंगे। इसमें ऐसे सिस्टम होंगे जो किसी भी दुर्घटना को रोकने या नियंत्रित करने में मदद करेंगे।
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