भारत सरकार ने गैर-पेटेंटेड आविष्कारों और ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के लिए एक नया लॉ लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अभी भारत में ट्रेड सीक्रेट्स के लिए कोई खास कानून नहीं है, और इसे अनुबंध अधिनियम, 1872 के तहत संभाला जाता है। लेकिन अब व्यापार की बढ़ती जरूरतों और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने व्यापार सुगमता और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन जैसे मुद्दों पर अलग-अलग हितधारकों से सुझाव लेना शुरू कर दिया है। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे कई देशों में पहले से ट्रेड सीक्रेट्स के लिए खास कानून मौजूद हैं। नए लॉ से व्यापारियों को अपनी सीक्रेट तकनीकी और बिज़नेस से जुड़ी जानकारी को बेहतर तरीके से सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही भारत में ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के लिए एक आधुनिक और मजबूत लॉ बनाया जाएगा।
ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा क्यों जरूरी है
ट्रेड सीक्रेट्स में वह कोई भी तकनीकी या कॉमर्शियल जानकारी आती है, जिसे सीक्रेट रखा जाता है और जिसका बिज़नेस के लिए बड़ा महत्व होता है। यह जानकारी कंपनियों के लिए बहुत कीमती होती है क्योंकि इससे उनका व्यापार प्रतियोगिता में बना रहता है। ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा से कंपनियां अपने ट्रेड सीक्रेट्स को चोरी या गलत इस्तेमाल से बचा सकती हैं। भारत में अभी तक ऐसा कोई खास कानून नहीं है, इसलिए यह सुरक्षा पूरी तरह से नहीं मिल पाती।
वर्तमान कानून और उसकी सीमाएं
भारत में ट्रेड सीक्रेट्स के लिए अब तक कोई अलग कानून नहीं है। इसे कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 और कानून के जरिए संभाला जाता है। इसका मतलब है कि अगर कोई जानकारी चोरी हो जाती है या गलत इस्तेमाल होती है, तो उसे रोकने के लिए कोर्ट में समझौते के नियमों के आधार पर ही मामला चलता है। इस व्यवस्था में कई बार व्यापारियों को पूरी सुरक्षा और जल्दी राहत नहीं मिल पाती।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन के मुद्दे
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के साथ-साथ बिज़नेस आसान बनाने और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की है। व्हिसलब्लोअर वे लोग होते हैं जो किसी कंपनी या संगठन की गलत गतिविधियों की जानकारी बाहर लाते हैं। सरकार इस बात पर सोच रही है कि कैसे ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के साथ-साथ बिज़नेस में पारदर्शिता और ईमानदारी भी बनी रहे।
विदेशी देशों के उदाहरण
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे कई देशों में ट्रेड सीक्रेट्स के लिए खास कानून मौजूद हैं। इन देशों के कानूनों में ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं, जिससे कंपनियों को बेहतर और लंबे समय तक सुरक्षा मिलती है। भारत सरकार इन देशों के अनुभव से सीख लेकर एक उपयुक्त कानून बनाने की योजना बना रही है, जिससे व्यापारियों को कम खर्च और कम कानूनी जटिलता के साथ सुरक्षा मिले।
ट्रेड सीक्रेट बिल 2024
हाल ही में विधि आयोग ने ट्रेड सीक्रेट बिल, 2024 का प्रस्ताव पेश किया है। इसके अनुसार, ट्रेड सीक्रेट्स को “ऐसी बिज़नेस से जुड़ी या तकनीकी जानकारी के रूप में परिभाषित किया गया है जो सीक्रेट हो, उसका बिज़नेस का क़ीमत हो और जिसका खुलासा करने से नुकसान हो।” बिल में कहा गया है कि ट्रेड सीक्रेट्स के दुरुपयोग पर व्यापारिक न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा, इसमें रोक लगाने, नुकसान की भरपाई और सीक्रेट जानकारी को खत्म करने के आदेश होंगे। इस बिल से व्यापारियों को बेहतर कानूनी मदद और सुरक्षा मिलेगी।
ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा क्यों जरूरी है
ट्रेड सीक्रेट्स में वह कोई भी तकनीकी या कॉमर्शियल जानकारी आती है, जिसे सीक्रेट रखा जाता है और जिसका बिज़नेस के लिए बड़ा महत्व होता है। यह जानकारी कंपनियों के लिए बहुत कीमती होती है क्योंकि इससे उनका व्यापार प्रतियोगिता में बना रहता है। ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा से कंपनियां अपने ट्रेड सीक्रेट्स को चोरी या गलत इस्तेमाल से बचा सकती हैं। भारत में अभी तक ऐसा कोई खास कानून नहीं है, इसलिए यह सुरक्षा पूरी तरह से नहीं मिल पाती।
वर्तमान कानून और उसकी सीमाएं
भारत में ट्रेड सीक्रेट्स के लिए अब तक कोई अलग कानून नहीं है। इसे कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 और कानून के जरिए संभाला जाता है। इसका मतलब है कि अगर कोई जानकारी चोरी हो जाती है या गलत इस्तेमाल होती है, तो उसे रोकने के लिए कोर्ट में समझौते के नियमों के आधार पर ही मामला चलता है। इस व्यवस्था में कई बार व्यापारियों को पूरी सुरक्षा और जल्दी राहत नहीं मिल पाती।
व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन के मुद्दे
मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के साथ-साथ बिज़नेस आसान बनाने और व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की है। व्हिसलब्लोअर वे लोग होते हैं जो किसी कंपनी या संगठन की गलत गतिविधियों की जानकारी बाहर लाते हैं। सरकार इस बात पर सोच रही है कि कैसे ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के साथ-साथ बिज़नेस में पारदर्शिता और ईमानदारी भी बनी रहे।
विदेशी देशों के उदाहरण
अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, चीन और यूरोपीय संघ जैसे कई देशों में ट्रेड सीक्रेट्स के लिए खास कानून मौजूद हैं। इन देशों के कानूनों में ट्रेड सीक्रेट्स की सुरक्षा के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं, जिससे कंपनियों को बेहतर और लंबे समय तक सुरक्षा मिलती है। भारत सरकार इन देशों के अनुभव से सीख लेकर एक उपयुक्त कानून बनाने की योजना बना रही है, जिससे व्यापारियों को कम खर्च और कम कानूनी जटिलता के साथ सुरक्षा मिले।
ट्रेड सीक्रेट बिल 2024
हाल ही में विधि आयोग ने ट्रेड सीक्रेट बिल, 2024 का प्रस्ताव पेश किया है। इसके अनुसार, ट्रेड सीक्रेट्स को “ऐसी बिज़नेस से जुड़ी या तकनीकी जानकारी के रूप में परिभाषित किया गया है जो सीक्रेट हो, उसका बिज़नेस का क़ीमत हो और जिसका खुलासा करने से नुकसान हो।” बिल में कहा गया है कि ट्रेड सीक्रेट्स के दुरुपयोग पर व्यापारिक न्यायालय में मुकदमा चलाया जाएगा, इसमें रोक लगाने, नुकसान की भरपाई और सीक्रेट जानकारी को खत्म करने के आदेश होंगे। इस बिल से व्यापारियों को बेहतर कानूनी मदद और सुरक्षा मिलेगी।
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