क्या आपने कभी सोचा कि एक छोटे से शहर की लड़की भारत की सबसे बड़ी कैशबैक कंपनी की मालकिन बन सकती है? स्वाति भार्गव इस सवाल का जवाब है. हरियाणा के छोटे शहर अंबाला से निकलकर, स्वाति ने न केवल कैशकरो जैसा सक्सेसफुल स्टार्टअप खड़ा किया, बल्कि महिला उद्यमियों के लिए एक नई मिसाल कायम की. गोल्डमैन सैक्स की शानदार नौकरी छोड़कर, उन्होंने अपने सपनों को सच किया और लाखों लोगों की ऑनलाइन शॉपिंग को किफायती बनाया. यह है उनकी प्रेरणादायक यात्रा, जो हर उस महिला को प्रेरित करती है जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहती है.
मेहनत से पाई स्कॉलरशिप से लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की उड़ानहरियाणा के अंबाला में 26 अप्रैल 1983 को स्वाति भार्गव का जन्म हुआ. पढ़ाई में शुरू से ही तेज-तर्रार स्वाति ने अपनी मेहनत और लगन से सिंगापुर में 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए स्कॉलरशिप हासिल की. इसके बाद उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गणित और अर्थशास्त्र में बी.एससी. ऑनर्स की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली. लंदन में पढ़ाई के दौरान स्वाति का सपना था कि वह एक अच्छी नौकरी करेंगी और अपने परिवार की आर्थिक सहायता करेगी. उनकी इस महत्वाकांक्षा ने उन्हें कॉर्पोरेट जगत में कदम रखने के लिए प्रेरित किया.
एलएसई से ग्रेजुएशन के बाद स्वाति ने गोल्डमैन सैक्स में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग डिवीजन में नौकरी शुरू की. लगभग 5 साल तक उन्होंने वहां काम किया, लेकिन उनके मन में हमेशा कुछ बड़ा और अलग करने की चाहत थी.
कैसे आया कैशकरो का अनोखा बिजनेस आइडियास्वाति और उनके पति रोहन भार्गव को कैशबैक और कूपन के बिजनेस का आइडिया तब आया जब वे अपने हनीमून के लिए ब्रिटेन गए थे. वहां उन्हें क्विडको नाम की एक कैशबैक साइट के बारे में पता चला. उन्होंने इसका इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें 10,000 रुपये का कैशबैक प्राप्त हुआ. यहीं से उन्हें भारत में भी ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म शुरू करने की प्रेरणा मिली.
स्वाति ने अपने पति रोहन के साथ मिलकर साल 2011 में यूके में प्योरिंग पाउंड्स नाम से एक कैशबैक और कूपन वेबसाइट की शुरुआत की. जिसकी सफलता ने उन्हें भारत में ऐसा ही एक मॉडल शुरू करने का आत्मविश्वास दिया. साल 2013 में, स्वाति और उनके पति ने गोल्डमैन सैक्स में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी. इसके बाद भारत आकर कैशकरो की शुरुआत की. यह उनके लिए एक बड़ा रिस्क तो था, ही लेकिन स्वाति की मेहनत और दूरदृष्टि ने इस प्लेटफार्म को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
क्या है कैशकरो का बिजनेस मॉडल और सफलताका राज?कैशकरो एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को कैशबैक और डिस्काउंट ऑफर करता है. यह 1100 से अधिक शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स, जैसे अमेजन, मिंत्रा, और फ्लिपकार्ट के साथ पार्टनरशिप कर चुका है. कैशकरो का बिजनेस मॉडल बेहद सरल और प्रभावी है यह ग्राहकों को उनके खरीदारी के बदले कैशबैक और कूपन प्रदान करता है, जिससे वे पैसे बचा सकते हैं.
साल 2013 में इसकी शुरुआत होने के बाद कैशकरो की जड़ें मजबूत होती गई. साल 2015 में कंपनी ने कलारी कैपिटल से 25 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त की. साल 2016 में बिजनेस टाइकून रतन टाटा ने कैशकरो में इन्वेस्टमेंट किया, जिसने स्वाति की कंपनी और भी अधिक चर्चा में आ गई. साल 2020 में कैशकरो ने 75 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई और बिजनेस का विस्तार किया. 2024 तक कंपनी की वैल्यूएशन 500 करोड़ रुपये से ज्यादा ही गई थी. इतना ही नहीं कंपनी का रेवेन्यू 300 करोड़ रुपये पार चला गया.
सफलता की राह में आई चुनौतियांस्वाति का सफर आसान नहीं था, पढ़ाई के दौरान और बाद में उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें किडनी की गंभीर समस्या भी शामिल थी. साल 2022 में, जब कैशकरो के लिए फंडरेजिंग चल रही थी, तब उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई, लेकिन स्वाति ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी को एक साथ संभाला और सफलता हासिल की.
स्वाति भार्गव की उपलब्धियां
- साल 2019 में फॉर्च्यून 40 अंडर 40 की लिस्ट में शामिल किया गया और इंडियाज फर्स्ट डिजिटल वुमन के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
- कैशकरो को बेस्ट एफिलिएटेड अवार्ड भी मिल चुका है, और इसके 1.8 करोड़ से अधिक डाउनलोड प्ले स्टोर पर हो चुके हैं.
- कैशकरो अब 500 करोड़ रुपये के रेवेन्यू टारगेट की ओर बढ़ रही है. उनकी कंपनी का आईपीओ लाने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है.
स्वाति की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और हिम्मत दिखाने को तैयार हैं. स्वाति भार्गव की सक्सेस स्टोरी यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, सही समय पर लिए गए फैसले और आत्मविश्वास के साथ कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं.
मेहनत से पाई स्कॉलरशिप से लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की उड़ानहरियाणा के अंबाला में 26 अप्रैल 1983 को स्वाति भार्गव का जन्म हुआ. पढ़ाई में शुरू से ही तेज-तर्रार स्वाति ने अपनी मेहनत और लगन से सिंगापुर में 11वीं और 12वीं कक्षा के लिए स्कॉलरशिप हासिल की. इसके बाद उन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गणित और अर्थशास्त्र में बी.एससी. ऑनर्स की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप मिली. लंदन में पढ़ाई के दौरान स्वाति का सपना था कि वह एक अच्छी नौकरी करेंगी और अपने परिवार की आर्थिक सहायता करेगी. उनकी इस महत्वाकांक्षा ने उन्हें कॉर्पोरेट जगत में कदम रखने के लिए प्रेरित किया.
एलएसई से ग्रेजुएशन के बाद स्वाति ने गोल्डमैन सैक्स में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग डिवीजन में नौकरी शुरू की. लगभग 5 साल तक उन्होंने वहां काम किया, लेकिन उनके मन में हमेशा कुछ बड़ा और अलग करने की चाहत थी.
कैसे आया कैशकरो का अनोखा बिजनेस आइडियास्वाति और उनके पति रोहन भार्गव को कैशबैक और कूपन के बिजनेस का आइडिया तब आया जब वे अपने हनीमून के लिए ब्रिटेन गए थे. वहां उन्हें क्विडको नाम की एक कैशबैक साइट के बारे में पता चला. उन्होंने इसका इस्तेमाल किया, जिससे उन्हें 10,000 रुपये का कैशबैक प्राप्त हुआ. यहीं से उन्हें भारत में भी ऐसा ही एक प्लेटफॉर्म शुरू करने की प्रेरणा मिली.
स्वाति ने अपने पति रोहन के साथ मिलकर साल 2011 में यूके में प्योरिंग पाउंड्स नाम से एक कैशबैक और कूपन वेबसाइट की शुरुआत की. जिसकी सफलता ने उन्हें भारत में ऐसा ही एक मॉडल शुरू करने का आत्मविश्वास दिया. साल 2013 में, स्वाति और उनके पति ने गोल्डमैन सैक्स में अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी. इसके बाद भारत आकर कैशकरो की शुरुआत की. यह उनके लिए एक बड़ा रिस्क तो था, ही लेकिन स्वाति की मेहनत और दूरदृष्टि ने इस प्लेटफार्म को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
क्या है कैशकरो का बिजनेस मॉडल और सफलताका राज?कैशकरो एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जो ऑनलाइन शॉपिंग करने वालों को कैशबैक और डिस्काउंट ऑफर करता है. यह 1100 से अधिक शॉपिंग प्लेटफॉर्म्स, जैसे अमेजन, मिंत्रा, और फ्लिपकार्ट के साथ पार्टनरशिप कर चुका है. कैशकरो का बिजनेस मॉडल बेहद सरल और प्रभावी है यह ग्राहकों को उनके खरीदारी के बदले कैशबैक और कूपन प्रदान करता है, जिससे वे पैसे बचा सकते हैं.
साल 2013 में इसकी शुरुआत होने के बाद कैशकरो की जड़ें मजबूत होती गई. साल 2015 में कंपनी ने कलारी कैपिटल से 25 करोड़ रुपये की फंडिंग प्राप्त की. साल 2016 में बिजनेस टाइकून रतन टाटा ने कैशकरो में इन्वेस्टमेंट किया, जिसने स्वाति की कंपनी और भी अधिक चर्चा में आ गई. साल 2020 में कैशकरो ने 75 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई और बिजनेस का विस्तार किया. 2024 तक कंपनी की वैल्यूएशन 500 करोड़ रुपये से ज्यादा ही गई थी. इतना ही नहीं कंपनी का रेवेन्यू 300 करोड़ रुपये पार चला गया.
सफलता की राह में आई चुनौतियांस्वाति का सफर आसान नहीं था, पढ़ाई के दौरान और बाद में उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें किडनी की गंभीर समस्या भी शामिल थी. साल 2022 में, जब कैशकरो के लिए फंडरेजिंग चल रही थी, तब उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई, लेकिन स्वाति ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल जिंदगी को एक साथ संभाला और सफलता हासिल की.
स्वाति भार्गव की उपलब्धियां
- साल 2019 में फॉर्च्यून 40 अंडर 40 की लिस्ट में शामिल किया गया और इंडियाज फर्स्ट डिजिटल वुमन के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
- कैशकरो को बेस्ट एफिलिएटेड अवार्ड भी मिल चुका है, और इसके 1.8 करोड़ से अधिक डाउनलोड प्ले स्टोर पर हो चुके हैं.
- कैशकरो अब 500 करोड़ रुपये के रेवेन्यू टारगेट की ओर बढ़ रही है. उनकी कंपनी का आईपीओ लाने की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है.
स्वाति की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और हिम्मत दिखाने को तैयार हैं. स्वाति भार्गव की सक्सेस स्टोरी यह सिखाती है कि कड़ी मेहनत, सही समय पर लिए गए फैसले और आत्मविश्वास के साथ कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकते हैं.
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