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क्या गांवों में भी होते हैं Gen Z? टेकनेलॉजी की इस दुनिया में किन ट्रेंड को करते हैं ये फॉलो

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जेन जी कौन होते हैं? एक ऐसी जनरेशन जिसका इस डिजिटल युग में जन्म हुआ. जिनका कनेक्शन स्मार्ट फोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया से बिलकुल वैसा ही है जैसा उनकी फैमिली से, जो बिना मतलब के कुछ शब्द जैसे पूकी, घोस्टिंग आदि का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि स्मार्टफोन और सोशल मीडिया के दौर में पले बड़े होने के कारण ये टेक्नोलॉजी, क्रिएटिविटी और बदलाव को लेकर काफी उत्साही भी रहते हैं. ओल्ड जनरेशन की तुलना में ये डिजिटली फोकस्ड और स्वतंत्र विचारों वाले होते हैं. ये हेल्थ, इन्वेस्टमेंट, फैशन,सोशल मीडिया और एनवायरनमेंट के प्रति भी काफी सजग होते हैं. लेकिन क्या जेन जी गांवों में भी पाए जाते हैं?



क्या गावों में भो होते हैं जेनजी?जन्म के अनुसार देख तो जेन Z यानि वे लोग जिनका जन्म साल 1997 से लेकर साल 2012 के बीच में हुआ है. इस जनरेशन को टेक्नोलॉजी फ्रेंडली, इंडिपेंडेंस विचारों वाली और बदलाव लाने वाली जनरेशन के रूप में देखा जाता है. शहरों में तो उनकी छवि हाथ में फोन लेकर रील बनाते हुए और ट्रेंड को फॉलो करने वाले, करियर पर फोकस और जल्दी रिटायरमेंट प्लानिंग करने वालों के तौर पर होती है. लेकिन गांव में मामला थोड़ा अलग हो जाता है.



इस डिजिटल युग में जियो जैसे सस्ते नेटवर्क के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब हर घर तक इंटरनेट पहुंच चुका है. जिसके कारण गांव की गलियों में भी जेनजी के ट्रेंड्स पहुंच चुके हैं. गांव में भी युवा पीढ़ी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव है, हालांकि वे अपनी जमीन से जुड़े हुए हैं. गांव के जेन जी एक तरफ तो अपने स्मार्टफोन पर रिल्स बनाते हैं, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहकर ग्लोबल ट्रेंड्स को फॉलो करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ अपनी परंपरा को फॉलो करते है और खेतों में भी काम करते हैं. यह पीढ़ी गांव में एक सेतु की जैसे काम कर रही है जो गांव को डिजिटल दुनिया से जोड़कर परंपरा और आधुनिकता के बीच एक अनोखा संगम बना रही है.

गांवों में भी युवा पीढ़ी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे यूट्यूब इंस्टाग्राम का इस्तेमाल करके अच्छी खासी कमाई कर आत्मनिर्भर बन रही हैं. विलेज़ व्लॉग , गांवों की जिंदगी, संस्कृति दिखाकर कमाई भी कर रहे है और ग्रामीण भारत का प्रसार भी कर रहे हैं.



हर मुद्दे पर खुलकर बोलते हैं जेन जी चाहे शहर के हो या गांवों के जेन जी के जो ट्रेंड सामने आए हैं उनमें देखा गया है कि वह हर मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया खुल कर रखते हैं. फिर चाहे बात किसी पारंपरिक सामाजिक नियमों को चुनौती देने की हो, मेंटल हेल्थ की हो या फिर जेंडर इक्वेलिटी की हो.



ये है अंतर सस्ते इंटरनेट ने ग्रामीण युवाओं की जिंदगी आसान तो बनाई है, लेकिन शहरों की तुलना में अभी भी वे कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. जैसे आर्थिक तंगी और सामाजिक दबाव.

जेनजी भले ही कई नए ट्रेंड्स को फॉलो करते हो, लेकिन ये ओल्ड जनरेशान को भी कई चीजें सीखते हैं. ये न केवल अपनी हेल्थ, फैमिली का ध्यान रखते हैं बल्कि कम उम्र में निवेश, कमाई के कई तरीके भी अपना रहे हैं. कम उम्र में बड़े मुकाम हासिल कर रहे हैं.



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