अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए स्टील आयात पर लगने वाले टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% करने का ऐलान किया है। यह घोषणा उन्होंने पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग के पास एक रैली में की, जहां वह जापानी कंपनी निप्पॉन स्टील और यूएस स्टील के बीच हुए 14.9 अरब डॉलर के सौदे का जिक्र कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “हम स्टील पर 25% और बढ़ा रहे हैं। अब यह 50% हो जाएगा। इससे अमेरिका का स्टील उद्योग और अधिक सुरक्षित होगा।”
यह नया टैरिफ 4 जून से प्रभावी होगा और इसे ट्रंप की वैश्विक व्यापार नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो चीन के साथ चल रही ट्रेड वार को और भी गहरा कर सकता है। इस घोषणा के कुछ ही घंटे पहले ट्रंप ने चीन पर महत्वपूर्ण खनिजों से जुड़े समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया।
स्टील कंपनियों के शेयरों में उछालइस फैसले की घोषणा के बाद स्टील निर्माता कंपनी क्लीवलैंड-क्लिफ्स इंक (Cleveland-Cliffs Inc) के शेयरों में बाजार बंद होने के बाद 26% की तेजी दर्ज की गई। निवेशकों को उम्मीद है कि टैरिफ बढ़ने से घरेलू कंपनियों को लाभ होगा।
रस्ट बेल्ट की फैक्ट्रियों में फिर से उम्मीदट्रंप ने यह घोषणा यूएस स्टील के मॉन वैली वर्क्स प्लांट से की, जो एक समय अमेरिका की औद्योगिक ताकत का प्रतीक था। अब यह क्षेत्र ट्रंप के लिए चुनावी दृष्टि से भी बेहद अहम है। पेंसिल्वेनिया जैसे राज्यों में इस तरह की घोषणाएं उन्हें मजदूर वर्ग के बीच समर्थन दिलाने में मदद कर सकती हैं।
पहले भी लगाया था टैरिफगौरतलब है कि ट्रंप ने जनवरी में सत्ता में लौटते ही स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाया था। अब यह दूसरी बार है जब उन्होंने शुल्क बढ़ाया है। इससे पहले 2018 में उन्होंने चीन पर 50 अरब डॉलर मूल्य के औद्योगिक उत्पादों पर टैरिफ लगाया था।
किन उत्पादों पर पड़ेगा असरनए टैरिफ के दायरे में केवल कच्चा स्टील ही नहीं बल्कि स्टेनलेस स्टील सिंक, गैस रेंज, एसी की कॉइल, एल्युमिनियम फ्राइंग पैन और स्टील डोर हिंज जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। 2024 में इन उत्पादों का कुल आयात मूल्य 147.3 अरब डॉलर रहा, जिसमें दो-तिहाई हिस्सा एल्युमिनियम और एक-तिहाई स्टील का था।
कीमतों में वृद्धि संभववाणिज्य विभाग के मुताबिक, अमेरिका 2024 में 26.2 मिलियन टन स्टील आयात कर चुका है, जो इसे यूरोपीय संघ को छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा स्टील आयातक बनाता है। ऐसे में इस टैरिफ का असर व्यापक रूप से उद्योग और आम उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
उन्होंने कहा, “हम स्टील पर 25% और बढ़ा रहे हैं। अब यह 50% हो जाएगा। इससे अमेरिका का स्टील उद्योग और अधिक सुरक्षित होगा।”
यह नया टैरिफ 4 जून से प्रभावी होगा और इसे ट्रंप की वैश्विक व्यापार नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जो चीन के साथ चल रही ट्रेड वार को और भी गहरा कर सकता है। इस घोषणा के कुछ ही घंटे पहले ट्रंप ने चीन पर महत्वपूर्ण खनिजों से जुड़े समझौतों का उल्लंघन करने का आरोप भी लगाया।
स्टील कंपनियों के शेयरों में उछालइस फैसले की घोषणा के बाद स्टील निर्माता कंपनी क्लीवलैंड-क्लिफ्स इंक (Cleveland-Cliffs Inc) के शेयरों में बाजार बंद होने के बाद 26% की तेजी दर्ज की गई। निवेशकों को उम्मीद है कि टैरिफ बढ़ने से घरेलू कंपनियों को लाभ होगा।
रस्ट बेल्ट की फैक्ट्रियों में फिर से उम्मीदट्रंप ने यह घोषणा यूएस स्टील के मॉन वैली वर्क्स प्लांट से की, जो एक समय अमेरिका की औद्योगिक ताकत का प्रतीक था। अब यह क्षेत्र ट्रंप के लिए चुनावी दृष्टि से भी बेहद अहम है। पेंसिल्वेनिया जैसे राज्यों में इस तरह की घोषणाएं उन्हें मजदूर वर्ग के बीच समर्थन दिलाने में मदद कर सकती हैं।
पहले भी लगाया था टैरिफगौरतलब है कि ट्रंप ने जनवरी में सत्ता में लौटते ही स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाया था। अब यह दूसरी बार है जब उन्होंने शुल्क बढ़ाया है। इससे पहले 2018 में उन्होंने चीन पर 50 अरब डॉलर मूल्य के औद्योगिक उत्पादों पर टैरिफ लगाया था।
किन उत्पादों पर पड़ेगा असरनए टैरिफ के दायरे में केवल कच्चा स्टील ही नहीं बल्कि स्टेनलेस स्टील सिंक, गैस रेंज, एसी की कॉइल, एल्युमिनियम फ्राइंग पैन और स्टील डोर हिंज जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। 2024 में इन उत्पादों का कुल आयात मूल्य 147.3 अरब डॉलर रहा, जिसमें दो-तिहाई हिस्सा एल्युमिनियम और एक-तिहाई स्टील का था।
कीमतों में वृद्धि संभववाणिज्य विभाग के मुताबिक, अमेरिका 2024 में 26.2 मिलियन टन स्टील आयात कर चुका है, जो इसे यूरोपीय संघ को छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा स्टील आयातक बनाता है। ऐसे में इस टैरिफ का असर व्यापक रूप से उद्योग और आम उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ सकता है।
(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं। ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।)
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