अमेरिकी फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़एए) ने कहा है कि बोइंग विमानों में इस्तेमाल हो रहे फ्यूल कंट्रोल स्विच सुरक्षित हैं.
एफ़एए का बयान एयर इंडिया विमान हादसे की प्राथमिक जाँच रिपोर्ट सामने आने के बाद आया है.
जून में हुई इस दुर्घटना में 260 लोगों की मौत हो गई थी. जाँच रिपोर्ट सामने आने के बाद से फ़्यूल स्विच की सुरक्षा चर्चा का विषय बनी हुई है.
इस जाँच रिपोर्ट में कहा गया है कि बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर का फ़्यूल स्विच उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद बंद हो गया था.
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इस रिपोर्ट को भारत के विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) ने जारी किया है. इसमें एफ़एए की पुरानी रिपोर्टों का भी ज़िक्र किया गया है, जिनमें फ़्यूल स्विच की सुरक्षा की जाँच ज़रूरी होने की बात कही गई है.
एयर इंडिया का ये विमान अहमदाबाद से लंदन जा रहा था. इस हादसे को हाल के वर्षों में दुनियाभर में हुए सबसे बड़े विमान हादसों में एक माना जा रहा है.
एएआईबी की शुरुआती रिपोर्ट में ये कहा गया है कि विमान के इंजनों में ईंधन पहुँचाने वाला स्विच 'रन' से 'कट-ऑफ़' पोजीशन में आ गया था. इससे विमान का थ्रस्ट प्रभावित हुआ और हादसा हुआ.
जाँचकर्ताओं ने 2018 में जारी एफ़एए की एक एडवाइज़री का हवाला दिया, जिसमें बोइंग ऑपरेटरों को फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच के लॉकिंग फ़ीचर की जाँच करने की सलाह दी गई थी ताकि वह ग़लती से न बदले. हालाँकि एफ़एए ने इसे अनिवार्य नहीं किया था.
एएआईबी ने बताया कि एयर इंडिया ने इस सलाह का पालन नहीं किया था.
शुक्रवार को एफ़एए ने इंटरनेशनल सिविल एविएशन अथॉरिटी को बताया है कि उसने एयर इंडिया हादसे को लेकर शुरुआती रिपोर्ट देखी है.
एफ़एए ने कहा कि 2018 की एडवाइज़री इसलिए दी गई थी क्योंकि कुछ रिपोर्टों में पाया गया था कि फ़्यूल कंट्रोल स्विच बिना लॉकिंग फ़ीचर के लगाए गए थे.
हालाँकि एफ़एए ने दोहराया कि यह स्थिति विमानों को असुरक्षित नहीं बनाती.
एफ़एए ने बीबीसी के साथ साझा किए गए एक आंतरिक नोट में कहा, "हालाँकि बोइंग के विभिन्न मॉडलों में फ़्यूल कंट्रोल स्विच का डिज़ाइन और लॉकिंग फ़ीचर समान है, एफ़एए इस मुद्दे को ऐसा असुरक्षित हालात नहीं मानता, जिसमें उड़ान भरने के लिए विमान को सुरक्षित बताने वाले निर्देश जारी करने की ज़रूरत हो, 787 सहित किसी भी मॉडल के लिए."
एफ़एए ने ये भी कहा कि वह अन्य देशों के सिविल एविएशन अथॉरिटी के साथ ज़रूरी जानकारी साझा करता रहेगा.
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एयर इंडिया ने रिपोर्ट पर बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा है कि वह 'हादसे में प्रभावित परिवारों के साथ खड़ी है' और जांच कर रहीं एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है.
बयान में रिपोर्ट के किसी विशेष विवरण पर टिप्पणी नहीं की गई है.
बयान में कहा गया है, "AI171 हादसे से प्रभावित परिवारों के साथ एयर इंडिया खड़ी है. हम इस दुखद समय में शोक में डूबे हैं और हर संभव मदद देने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम 12 जुलाई 2025 को एयरक्राफ़्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) की ओर से जारी शुरुआती रिपोर्ट को प्राप्त करने की पुष्टि करते हैं."
"एयर इंडिया सभी संबंधित पक्षों, जिनमें नियामक भी शामिल हैं, के साथ मिलकर काम कर रही है. हम एएआईबी और अन्य अधिकारियों के साथ जांच में पूरा सहयोग जारी रखेंगे. चूंकि जांच अभी जारी है, इसलिए हम किसी भी विशेष विवरण पर टिप्पणी नहीं कर सकते और ऐसे सभी सवालों के लिए एएआईबी से संपर्क करने का अनुरोध करते हैं."

एएआईबी के मुताबिक़, रिकवर की गई कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में उड़ान के दौरान एक पायलट दूसरे से पूछता सुना गया कि "तुमने फ़्यूल क्यों बंद किया?"
जवाब में दूसरे पायलट ने कहा, "मैंने ऐसा नहीं किया."
जाँचकर्ताओं के अनुसार टेक-ऑफ़ के तुरंत बाद लगभग एक साथ दोनों फ़्यूल स्विच 'रन' से 'कट-ऑफ़' में बदल गए थे.
हालाँकि रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया कि उड़ान के दौरान ये स्विच कैसे बदले.
फ्लाइट 171 हादसा: अहमदाबाद से लंदन जा रही थी फ़्लाइट
एयर इंडिया की फ़्लाइट 171 अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट जा रही थी.
टेक-ऑफ़ के एक मिनट के भीतर ही विमान एयरपोर्ट के पास एक हॉस्टल से टकरा गया.
इस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई, जिनमें अधिकांश यात्री थे. एक ब्रिटिश नागरिक हादसे में बच गया.
जाँचकर्ताओं के मुताबिक़, इस हादसे पर अगले 12 महीनों में विस्तृत रिपोर्ट जारी की जाएगी.
15 पन्नों की शुरुआती रिपोर्ट में बताया गया है कि टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद एयर इंडिया विमान के साथ क्या हुआ.
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रिपोर्ट के मुताबिक़, "विमान ने दोपहर 1 बजकर 38 मिनट और 42 सेकेंड पर अधिकतम दर्ज की गई 180 नॉट्स की एयरस्पीड हासिल की और इसके तुरंत बाद, इंजन 1 और इंजन 2 के फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच एक-एक कर.. रन से कट-ऑफ़ पोज़िशन में चले गए, इनके बीच 1 सेकंड का अंतर था."
रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके बाद, "कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछते हुए सुना गया कि उसने कट-ऑफ़ क्यों किया. दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया."
लगभग 10 सेकेंड बाद 1 बजकर 38 मिनट और 56 सेकंड पर इंजन 1 का फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच 'कट ऑफ़' से 'रन' में गया. फिर चार सेकंड बाद इंजन 2 का फ़्यूल कट-ऑफ़ स्विच भी 'कट ऑफ़' से 'रन' में चला गया."
लगभग नौ सेकेंड बाद यानी 1 बजकर 39 मिनट और 5 सेकंड पर, एक पायलट ने ज़मीन पर मौजूद एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल अधिकारियों को "मेडे मेडे मेडे" का संदेश भेजा. एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल ने उनसे इस कॉल के बारे में पूछा तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिला, थोड़ी ही देर में उन्होंने विमान को क्रैश होते देखा.
जब इंजनों ने काम करना बंद किया, तो रैम एयर टर्बाइन-एक छोटी प्रोपेलर जैसी डिवाइस-अपने आप एक्टिव हो गई ताकि इमरजेंसी में हाइड्रॉलिक पावर मिल सके.
रिपोर्ट में कहा गया है, "एयरपोर्ट से मिली सीसीटीवी फ़ुटेज में दिखा कि लिफ़्ट-ऑफ़ के तुरंत बाद जब विमान ऊपर उठना शुरू कर रहा था, तब रैम एयर टर्बाइन (रैट) एक्टिव हो गई थी. उड़ान के रास्ते के आसपास किसी बड़ी बर्ड एक्टिविटी की जानकारी नहीं मिली. एयरपोर्ट के रनवे की बाउंड्री पार करने से पहले ही विमान ने ऊंचाई खोनी शुरू कर दी थी."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
- एयर इंडिया प्लेन क्रैश: जांच रिपोर्ट में जिस फ्यूल कंट्रोल स्विच का ज़िक्र है, वो क्या है?
- पायलटों के बीच हुई बातचीत ने विमान हादसे की गुत्थी को क्या उलझा दिया है?
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- एयर इंडिया अपनी उड़ानों में इतनी कटौती क्यों कर रही है?
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