हुर्रेम सुल्तान ऑटोमन साम्राज्य की सबसे प्रभावशाली महिलाओं में से एक हैं. वह ऑटोमन या उस्मानिया साम्राज्य के सबसे ताक़तवर सुल्तान 'सुलेमान द मैग्निफिसेंट' की पत्नी थीं.
उनकी रहस्यमय शख़्सियत की विरासत आज भी लिखी जाती है और आज भी उसे परिभाषित किया जाता है. 1558 में उनकी मौत के 400 साल बाद भी, उनकी कहानी लोगों को आकर्षित करती है.
हुर्रेम सुल्तान, जिन्हें रॉक्सेलाना के नाम से जाना जाता है, वो सिर्फ़ एक सुल्तान की पत्नी नहीं थीं.
उनके जीवन का सफ़र आम नहीं था. उन्होंने ग़ुलामी की ज़िंदगी से उठकर साम्राज्य की सत्ता के शिखर तक का सफ़र तय किया.
हुर्रेम सुल्तान ने 16वीं शताब्दी में ऑटोमन साम्राज्य की राजनीति और शासन को नया रूप दिया.
ऑटोमन साम्राज्य ने 14वीं सदी से लेकर 20वीं सदी की शुरुआत तक दुनिया के बड़े हिस्सों पर राज किया. इसका प्रभाव दक्षिण-पूर्वी यूरोप, पश्चिमी एशिया और उत्तरी अफ़्रीका तक फैला हुआ था.
इतिहास में इसे सबसे बड़े और सबसे लंबे समय तक टिके रहने वाले साम्राज्यों में गिना जाता है.
कई इतिहासकारों का मानना है कि उस्मानी इतिहास का "रानियों का दौर", यानी वह समय जब शाही महिलाएं सत्ता और फैसलों में ऐतिहासिक भूमिका निभा रही थीं, हुर्रेम सुल्तान के उभार के साथ शुरू हुआ.
सुल्तान के महल में महिलाओं के लिए बने विशेष हिस्से को 'हरम' कहा जाता था.
यहां सुल्तान की पत्नियां, दासियां, महिला परिजन और सेविकाएं रहती थीं. हुर्रेम का हरम में रहना और वहां से आगे की उनकी यात्रा इतिहास में अच्छी तरह दर्ज है.
फिर भी, उनकी असल पहचान अब तक रहस्य बनी हुई है. कुछ मानते हैं कि वे आज के यूक्रेन की एक बंधक क़ैदी थीं.
कुछ उन्हें एक रूढ़िवादी ईसाई पादरी की बेटी बताते हैं. वहीं एक और दावा है कि वो इटली के एक कुलीन परिवार से थीं और समुद्री डाकुओं ने उन्हें अगवा कर लिया था.

अधिकतर इतिहासकार मानते हैं कि हुर्रेम सुल्तान का जन्म 1500 के आसपास रूथेनिया नाम की जगह में हुआ था. यह इलाका आज के यूक्रेन, पोलैंड और बेलारूस के हिस्सों में फैला हुआ था.
हुर्रेम का असली नाम क्या था, इसको लेकर कोई ठोस सबूत नहीं है. कुछ यूक्रेनी लोग उन्हें अलेक्ज़ेंड्रा लिसोव्स्का या अनास्तासिया कहते हैं.
कुछ लोग मानते हैं कि उन्हें ला रोसा, रोज़ाना, रोक्सोलान, रोक्साना या पश्चिमी यूरोप में रॉक्सेलाना जैसे नामों से भी जाना जाता था.
हालांकि, ऑटोमन साम्राज्य के आधिकारिक दस्तावेज़ों में उन्हें हसेकी हुर्रेम सुल्तान कहा गया है. फ़ारसी में हुर्रेम का मतलब खुशमिज़ाज और हसेकी एक सम्मानजनक उपाधि थी जो सुल्तान के बच्चे की मां को मिलती थी.
कुछ सूत्रों का दावा है कि हुर्रेम एक रूढ़िवादी पादरी की बेटी थी, बल्कि अन्य मानते हैं कि वो किसान परिवार से थीं.
तुर्की के प्रोफेसर फेरिदुन एमेचेन बताते हैं कि कुछ ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, हुर्रेम को क्राइमियन तातार लुटेरों ने रोहातिन नामक शहर से अगवा किया था. यह शहर उस समय पोलैंड का हिस्सा था और अब पश्चिमी यूक्रेन में आता है.
वहीं प्रोफेसर ज़ैनब तारिम के अनुसार, हुर्रेम को ग़ुलामी के लिए बेच दिया गया. किशोरावस्था में ही उन्हें उस्मानी साम्राज्य लाया गया और राजकुमार सुलेमान (जो बाद में सुलैमान महान के नाम से जाने गए) की मां को एक उपहार के रूप में सौंपा गया.
इतिहासकारों के मुताबिक, लगभग 1520 में हुर्रेम हरम का हिस्सा बन गई थीं, क्योंकि अगले ही साल उनका और सुलेमान का बेटा राजकुमार मेहमत पैदा हुए थे.
सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए, सुलेमान ने बाद में हुर्रेम से शादी कर ली. यह ऐसा क़दम था जिसने पूरे शाही दरबार को चौंका दिया और हुर्रेम की हैसियत को पहले से कहीं ज़्यादा ऊंचा कर दिया.
इससे पहले किसी भी उस्मानी सुल्तान ने अपनी किसी दासी से विवाह नहीं किया था.
क्या हुर्रेम सुल्तान इटली से थीं?हालांकि ज़्यादातर इतिहासकार मानते हैं कि हुर्रेम सुल्तान रूथेनिया से थीं, फिर भी उनके जन्म और परिवार को लेकर कुछ अलग और चौंकाने वाले दावे भी सामने आते रहे हैं.
शोधकर्ता डॉ. रिनाल्डो मर्मारा ने भी एक ऐसा विवादित दावा किया है. उनका कहना है कि उन्हें वेटिकन के पुराने काग़ज़ात में एक दस्तावेज़ मिला है, जिसमें लिखा है कि हुर्रेम असल में एक इटली के एक समृद्ध परिवार से थीं. उनका नाम मार्गेरिटा था और वे सियेना के मार्सीली परिवार से थीं.
इन दस्तावेज़ों के मुताबिक, हुर्रेम और उनके भाई को समुद्री डाकुओं ने पकड़ लिया था और फिर उन्हें ऑटोमन दरबार में ग़ुलामी के लिए बेच दिया गया.
डॉ. मर्मारा आगे दावा करते हैं कि इस दस्तावेज़ में यह भी लिखा है कि हुर्रेम के वंशज सुल्तान मेहमत IV और पोप एलेक्ज़ेंडर VII के बीच रिश्तेदारी थी.
इसका मतलब यह हो सकता है कि हुर्रेम की पहचान रूथेनिया से नहीं बल्कि एक छिपे हुए रईस परिवार से थी.
हालांकि, इतिहासकार इस दावे को लेकर संदेह जताते हैं. प्रोफे़सर ज़ैनब तारिम कहती हैं कि इस दावे को सच्चा साबित करने के लिए और बहुत सारे प्रमाणों की ज़रूरत है.
वह बताती हैं कि उस दौर के वेनिशियन राजदूतों के पास हर तरह की दरबारी ख़बरें होती थीं और उनके रिकॉर्ड बहुत सटीक होते थे. लेकिन उन दस्तावेज़ों में हुर्रेम के इटली से होने का कोई ज़िक्र नहीं है.
उनका कहना है, "अगर ऐसा कुछ होता, तो उनका कहीं न कहीं रिकॉर्ड में ज़िक्र ज़रूर होता और हमें इसके बारे में बहुत पहले ही पता चल गया होता."
प्रोफ़ेसर एमेचेन भी इस दावे पर शक ज़ाहिर करते हैं. उनका मानना है कि हुर्रेम की पोलैंड के शाही परिवार से बातचीत थी लेकिन वो सिर्फ़ राजनयिक कारणों की वजह से थी, ना कि किसी परिवारिक रिश्तों की वजह से.
रूस से संबंधहुर्रेम सुल्तान की असली पहचान को लेकर काफी भ्रम रहा है, क्योंकि अलग-अलग समय में, अलग-अलग लोगों ने उन्हें अलग-अलग नामों से बुलाया.
ऑटोमन काल के ऑटोमन दस्तावेज़ों और कविताओं में उन्हें कई बार "रूसी जादूगरनी" कहा गया.
यह नाम उनके विरोधियों ने अपमान के तौर पर दिया था. ख़ासतौर पर तब जब सुल्तान सुलेमान के बड़े बेटे राजकुमार मुस्तफ़ा की मौत हुई थी.
मुस्तफ़ा सुल्तान सुलेमान के दूसरी महिला से हुए बेटे थे और ऑटोमन साम्राज्य के अगले शासक माने जाते थे.
बहुत से लोगों का मानना था कि हुर्रेम ने ही उनकी हत्या की साज़िश रची ताकि उनके बेटे को राजा बनाया जा सके.
हालांकि प्रोफ़ेसर एमेचेन बताते हैं कि उस दौर में 'रूस' शब्द का मतलब आज के रूसी लोगों से नहीं है.
उस वक्त 'रूस' शब्द का इस्तेमाल उन लोगों के लिए होता था जो उत्तर के इलाकों से आते थे, जैसे कि आज का यूक्रेन या बेलारूस.
पश्चिमी देशों के यात्री और वेनिशियन के राजनयिक भी हुर्रेम को 'रूसी' कहते थे, लेकिन इससे उनका मतलब था कि वो उस भौगोलिक क्षेत्र से थीं, ना कि वो रूस की नागरिक थीं.
प्रोफे़सर एमेचेन कहते हैं, "उस दौर में आज जैसा रूस नहीं था. जब कोई कहता था कि कोई 'रूसी' है, तो उसका मतलब होता था कि वो 'उस इलाके से है जिसे रूसी क्षेत्र कहा जाता था'."
बीबीसी न्यूज़ यूक्रेनी के पत्रकार विताली चर्वोनेन्को भी बताते हैं, "16वीं सदी में पोलैंड के वो इलाके, जहां यूक्रेनी लोग रहते थे, उन्हें 'रुसके' प्रांत कहा जाता था और रोहातिन भी वहीं था."
"उस समय यूक्रेनी लोगों को 'रुसिन' कहा जाता था, लेकिन इसका रूस से कोई संबंध नहीं था."
आज के दौर में हुर्रेम सुल्तान की पहचान एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गई है. ख़ासकर यूक्रेन में, जहां उन्हें देश की महान महिला माना जाता है.
उनके सम्मान में उनके जन्मस्थान रोहातिन में उनकी मूर्तियां लगी हैं और मारियूपोल शहर (जो अब रूस के कब्जे़ में है) की एक मस्जिद में उनका और सुल्तान सुलेमान का नाम एक साथ लिखा गया है.
साल 2019 में, तुर्की की राजधानी अंकारा में स्थित यूक्रेनी दूतावास की अपील पर, इस्तांबुल की सुलेमानी मस्जिद में हुर्रेम की कब्र पर लगी पट्टिका से 'रूसी मूल' का ज़िक्र हटा दिया गया.
अब पट्टिका पर उनकी पहचान यूक्रेनी महिला के रूप में दर्ज है. जो यह दिखाता है कि हुर्रेम की कहानी आज भी ज़िंदा है और उनकी पहचान अब भी इतिहास और राजनीति में अहम भूमिका निभा रही है.
हुर्रेम के किए गए काम
हुर्रेम का प्रभाव सिर्फ़ हरम तक ही नहीं था. असल में, उनके किए गए काम आज भी लोगों को याद हैं.
उन्होंने इस्तांबुल और यरुशलम (जो उस समय ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था) में मस्जिदें, लंगर और चैरिटी के लिए संस्थान बनवाए थे.
इस्तांबुल का हसेकी इलाका आज भी उनके नाम पर है.
ऐतिहासिक रिकॉर्ड्स के मुताबिक, हुर्रेम सुल्तान की मौत 15 अप्रैल 1558 को इस्तांबुल में हुई थी. उन्हें सुलेमानिया मस्जिद में दफ़नाया गया.
बाद में, सुल्तान सुलेमान ने वहीं उनकी क़ब्र पर एक मकबरा भी बनवाया.
भले ही उनकी मौत हो गई हो, लेकिन उनसे जुड़ी कहानियां और रहस्य आज भी ख़त्म नहीं हुए हैं.
चाहे वह एक रूथेनियाई बंदी रही हों या इटली की कोई समृद्ध महिला या फिर वह महिला जिसे सत्ता में रहते हुए ग़लत समझा गया.
हुर्रेम सुल्तान आज भी ऑटोमन इतिहास की सबसे रहस्यमय और दिलचस्प शख़्सियतों में से एक हैं, जिनका नाम दुनिया के इतिहास में भी ख़ास महत्व रखता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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