महाराष्ट्र में सतारा के फलटण में एक महिला डॉक्टर की आत्महत्या मामले में फरार अभियुक्त पुलिस सब-इंस्पेक्टर (पीएसआई) गोपाल बदने ने सरेंडर कर दिया है.
घटना के सामने में आने के बाद से ही गोपाल बदने फरार थे और पुलिस उनकी तलाश कर रही थी.
इस बीच, बदने ख़ुद शनिवार (25 अक्तूबर) को फलटण पुलिस स्टेशन में पेश हुए. हालांकि, पुलिस ने इस बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं दी है.
आत्महत्या से पहले महिला डॉक्टर ने अपनी हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में पुलिस अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति पर रेप सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
फिलहाल सतारा पुलिस इस मामले की जांच कर रही है. इससे पहले, प्रशांत बनकर नामक एक अन्य अभियुक्त को पुणे से गिरफ़्तार किया गया था और 28 अक्तूबर तक चार दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया था.
(आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है. अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं. आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.)
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बीते गुरुवार को एक महिला डॉक्टर ने सतारा के फलटण के एक होटल में जाकर आत्महत्या कर ली थी. महिला ने अपने हाथ पर जो सुसाइड नोट लिखा है, उसमें एक पुलिस अधिकारी और एक अन्य व्यक्ति का नाम शामिल है.
महिला डॉक्टर ने आरोप लगाया है कि एक पुलिस अधिकारी ने उसके साथ चार बार बलात्कार किया, जबकि एक अन्य व्यक्ति ने उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया.
महिला के भाई ने दावा किया है कि महिला डॉक्टर पर झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार करने के लिए राजनीतिक और पुलिस, दोनों पक्षों से भारी दबाव था.
महिला के रिश्तेदारों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें एक सांसद के निजी सहायक से ऐसी झूठी रिपोर्ट बनाने के लिए फ़ोन आते थे.
इस संबंध में मीडिया से बात करते हुए महिला के भाई ने कहा, "पिछले एक साल से उस पर नेताओं और पुलिस की ओर से झूठी पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाने का काफ़ी दबाव था. वह बार-बार अपनी बहन को इस बारे में बताती थी."
"लेकिन, मैंने नहीं सोचा था कि उस पर इतना दबाव होगा. आख़िरकार थककर, उसने आत्महत्या कर ली."
भाई ने आगे कहा, "उन्होंने अपने हाथ पर उन लोगों के नाम भी लिखे हैं, जिन्होंने उन्हें परेशान किया. उन्होंने पिछले दो सालों से डीएसपी और एसपी को भी इस बारे में शिकायती पत्र लिखा था."
"दफ़्तर में उनके पत्रों के आने-जाने का रिकॉर्ड भी दर्ज किया गया है. हालांकि, उनकी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसके अलावा, उन्होंने कुछ जानकारी प्राप्त करने के लिए आरटीआई भी दायर की थी, लेकिन उस पर भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला."
सीएम ने कहा- किसी को बख़्शा नहीं जाएगामहाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे एक बेहद गंभीर और दुखभरी घटना बताया है.
मुंबई एक कार्यक्रम में शामिल होने गए सीएम ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि "सरकार ने तुरंत संबंधित पुलिस अधिकारी को सस्पेंड किया है. गिरफ्तार करने का काम भी चालू हो गया है. जो भी इस मामले में शामिल पाए जाएंगे, उन्हें कठोर से कठोर सज़ा दी जाएगी."
उन्होंने इस दौरान ये भी कहा कि "विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है, जो नहीं होना चाहिए."
पुलिस ने पहले क्यों नहीं की कार्रवाई?
BBC पुलिस का कहना है कि महिला डॉक्टर ने अपने सुसाइड नोट में जिन दो लोगों के नाम लिखे हैं, उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया है.
सतारा के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने बताया कि जिस पुलिस अधिकारी पर महिला डॉक्टर ने चार बार बलात्कार करने का आरोप लगाया है, उन्हें निलंबित कर दिया गया है.
मीडिया से बात करते हुए पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने कहा, "शुक्रवार सुबह मामला दर्ज किया गया है. महिला डॉक्टर ने अपने हाथ पर दो नाम लिखे हैं. इसमें फलटण ग्रामीण के पीएसआई (पुलिस सब-इंस्पेक्टर) और एक और व्यक्ति का ज़िक्र है."
डॉक्टर ने अभियुक्त पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के साथ-साथ बलात्कार का भी आरोप लगाया है.
पुलिस के मुताबिक़, "मामला दो धाराओं- बलात्कार और आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत दर्ज किया गया है. चूँकि सब-इंस्पेक्टर के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया गया है, इसलिए उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया है."
पुलिस से एक सवाल ये किया गया कि क्या महिला डॉक्टर ने शिकायत की थी कि उस पर फ़र्ज़ी रिपोर्ट देने के लिए दबाव डाला जा रहा था?
इस सवाल पर पुलिस ने कहा, "महिला ने तत्कालीन एसडीपीओ के पास शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद उन लोगों ने उसके ख़िलाफ़ ज़िला सर्जन के पास शिकायत दर्ज कराई थी. ये दोनों शिकायतें एक-दूसरे के ख़िलाफ़ दर्ज की गई थीं."
परिजनों का आरोप है कि इस महिला डॉक्टर पर सांसद के पीए की ओर से भी दबाव बनाया जा रहा था.
तो क्या पुलिस की जाँच राजनीतिक दबाव को लेकर भी की जा रही है? इस बारे में पूछे जाने पर पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी ने कहा, "फ़िलहाल यह अप्राकृतिक मौत लग रही है. प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या लग रही है."
"पहले ये साबित करना होगा कि ये आत्महत्या है. उसके बाद आत्महत्या की वजह पता करनी होगी. महिला ने इसमें क्या लिखा है, उसने पहले किससे बात की थी, इन सबकी जांच की जाएगी."
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महिला डॉक्टर ने अपनी परेशानियों के बारे में कथित तौर पर बार-बार लिखित और मौखिक शिकायतें की थीं. उनके चाचा और भाई ने मीडिया को बताया कि उनकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया.
महिला डॉक्टर ने 19 जून 2025 को फलटण के पुलिस उपाधीक्षक को एक औपचारिक पत्र लिखकर घटना की शिकायत की थी.
इस पत्र में महिला डॉक्टर ने लिखा है, "वे मुझ पर बार-बार यह रिपोर्ट करने के लिए दबाव डालते हैं कि मरीज़ (अभियुक्त) फ़िट है, जबकि वह फ़िट नहीं है और वे अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल करते हैं. जब मैंने पुलिस इंस्पेक्टर को फ़ोन पर इस बारे में बताया, तो उन्होंने यह कहते हुए अस्पष्ट जवाब दिया कि मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है."
इस शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिए जाने पर महिला डॉक्टर ने 13 अगस्त को सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई भी दायर की थी.
महिला डॉक्टर ने इस आरटीआई के माध्यम से अपनी शिकायत के बारे में जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया था. लेकिन महिला के भाई ने कहा कि उस आरटीआई का भी कोई जवाब नहीं मिला.
इसके बाद, एक दूसरे पत्र में महिला ने अपनी शिकायतों को विस्तार से बताया था.
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Getty Images एनसीपी (शरद पवार) सांसद सुप्रिया सुले ने पूछा है कि महिला की शिकायत पर पहले कार्रवाई क्यों नहीं की गई. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है.
उन्होंने लिखा, "महिला डॉक्टर की आत्महत्या का मामला बेहद गंभीर है. इस महिला की ओर से लिखे गए सुसाइड नोट में, उसने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को बार-बार बताया था कि पिछले कुछ दिनों से उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था. लेकिन उसकी शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया. आख़िरकार, उसने यह कदम उठा लिया."
सुप्रिया सुले ने यह सवाल उठाया कि महिला की शिकायत पर पहले ध्यान क्यों नहीं दिया गया? उन्होंने कहा कि इन सभी सवालों के जवाब मिलने चाहिए.
वहीं राज्य महिला आयोग की प्रमुख रूपाली चाकणकर ने इस संबंध में जानकारी देते हुए एक वीडियो पोस्ट किया है.
उन्होंने कहा, "राज्य महिला आयोग ने इसका संज्ञान लिया है. फ़िलहाल इस मामले में फलटण सिटी पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (2), 108 के तहत मामला दर्ज किया गया है."
रूपाली चाकणकर ने कहा, "आयोग ने पुलिस को यह भी निर्देश दिया है कि वह जांच करे कि अगर महिला ने पहले अपने साथ हो रहे उत्पीड़न की शिकायत की थी तो उसे मदद क्यों नहीं मिली, इस मामले में सभी संबंधित लोगों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जाए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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