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ख़ामेनेई का नया वीडियो क्या सत्ता पर पकड़ को लेकर अटकलों का जवाब है?

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LEADER.IR आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई के 18 जून से जुड़े संदेश की केवल एक तस्वीर जारी की गई थी

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई 26 जून को एक टेलीविज़न संबोधन में सार्वजनिक रूप से नज़र आए. इससे ईरान-इसराइल संघर्ष के एक अहम दौर में उनकी अनुपस्थिति को लेकर चल रही अटकलों पर फिलहाल विराम लग गया.

वह एक सप्ताह से अधिक समय बाद किसी वीडियो संदेश में दिखाई दिए हैं.

यह संदेश उस अचानक घोषित युद्धविराम के बाद आया है, जो ईरान-इसराइल संघर्ष के बारह दिनों के भीतर हुआ. इस पूरे दौर में ख़ामेनेई की असाधारण चुप्पी बनी रही.

ख़ामेनेई ना केवल देश के सर्वोच्च नेता हैं, बल्कि देश के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ़ भी हैं.

ऐसे में इसराइल के साथ संघर्ष जैसी बड़ी घटना पर उनकी ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया न आने से उनकी सेहत, सुरक्षा और देश के अहम फ़ैसलों पर उनके नियंत्रण को लेकर कई तरह की अफ़वाहें फैल गईं.

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ख़ामेनेई के पिछले वीडियो संदेश में उनकी प्रतिक्रिया काफ़ी साधारण थी — जो ऐसे गंभीर संकट के समय असामान्य मानी जा रही थी.

उनकी दोबारा टेलीविज़न पर उपस्थिति से इस मुद्दे पर फिलहाल अटकलें थम गई हैं.

लेकिन ईरान में अभूतपूर्व संकट के दौरान उनकी लंबी चुप्पी की वजहें और सत्ता पर उनके नियंत्रण को लेकर सवाल अब भी बने हुए हैं.

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ख़ामेनेई को आख़िरी बार लोगों ने कब देखा था? image Getty Images आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई का समर्थन करते ईरानी

ख़ामेनेई ने 26 जून को टेलीविज़न पर एक छोटे संदेशके ज़रिए सप्ताह भर की अपनी चुप्पी तोड़ी. यह 13 जून को ईरान-इसराइल संघर्ष शुरू होने के बाद से उनका तीसरा सार्वजनिक संदेश था.

इससे पहले वह 18 जून को टीवी पर नज़र आए थे, जब उन्होंने अमेरिका को कड़ी चेतावनी देते हुए राष्ट्रपति ट्रंप की ईरान के "बिना शर्त आत्मसमर्पण" की अपील को ख़ारिज़ कर दिया था.

ख़ामेनेई की आधिकारिक वेबसाइट आमतौर पर उनके भाषणों की कई तस्वीरें जारी करती है, लेकिन 18 जून को केवल एक तस्वीर प्रकाशित की गई. 26 जून के भाषण के साथ भी सिर्फ़ एक ही तस्वीर जारी की गई.

18 जून का उनका वीडियो संबोधन कुछ अलग और असामान्य लगा, जिसके बाद से उनके ठिकाने को लेकर अटकलें और तेज़ हो गईं.

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ख़ामेनेई की ख़ामोशी image Getty Images तेहरान में युद्धविराम का समर्थन करते लोग

अमेरिका द्वारा इसराइल के साथ ईरान के युद्धविराम की घोषणा के बाद, ख़ामेनेई 48 घंटे से ज़्यादा समय तक सार्वजनिक रूप से ख़ामोश रहे.

इस ख़ामोशी के चलते उनके बारे में अटकलें लगने लगीं. युद्धविराम की शर्तों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि उसे मंज़ूरी देने में ख़ामेनेई की रज़ामंदी शामिल थी या नहीं.

ईरान के संविधान के अनुच्छेद 110 के तहत सर्वोच्च नेता को युद्ध या शांति की घोषणा करने का अधिकार प्राप्त है और वह सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर भी होता है.

इसके बावजूद, ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एसएनएससी) द्वारा युद्धविराम पर जारी बयान में न तो ख़ामेनेई के समर्थन का उल्लेख था और न ही उनकी भागीदारी का कोई संकेत.

इसके बाद स्थिति और रहस्यमय हो गई, जब ख़ामेनेई ने न तो ईरानी परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हमले और न ही क़तर स्थित अमेरिकी एयर बेस अल-उदैदपर ईरान की जवाबी कार्रवाई पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया दी.

इतना ही नहीं, ईरान के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी इन घटनाओं पर ख़ामेनेई के साथ किसी बातचीत की पुष्टि नहीं की.

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ख़ामनेई के सामने ना आने की क्या हो सकती है वजह image Getty Images ख़ामेनेई की चुप्पी के पीछे उनकी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भी एक वजह माना जा रहा है

ख़ामेनेई की अनुपस्थिति के पीछे सुरक्षा संबंधी चिंताएं एक वजह हो सकती हैं. इसके पीछे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उनके संवाद की कथित कमी को भी एक कारण बताया गया है.

अमेरिकी और इसराइली अधिकारियों ने संकेत दिया था कि ईरान-इसराइल संघर्ष के दौरान ख़ामेनेई को निशाना बनाया जा सकता है. इसराइली हमलों में ईरानी कमांडरों और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत के बाद इस खतरे से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता था.

21 जून को न्यूयॉर्क टाइम्स ने अज्ञात ईरानी सूत्रों के हवाले से बताया कि ख़ामेनेई 'एक बंकर में शरण लिए हुए हैं'.

सूत्रों ने अख़बार से कहा कि वह केवल एक भरोसेमंद सहयोगी के माध्यम से ही बातचीत कर रहे थे और अपने ठिकाने का पता न चले, इसके लिए उन्होंने सभी इलेक्ट्रॉनिक संचार उपकरण बंद कर दिए थे.

इसकी आंशिक पुष्टि 24 जून को उस समय हुई जब ख़ामेनेई के कार्यालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी मेहदी फज़ाएली ने 23 जून को एक टीवी इंटरव्यू में माना कि ख़ामेनेई एक सुरक्षित स्थान पर हैं. हालांकि उन्होंने इसके अलावा कोई और जानकारी नहीं दी.

इस मामले में टिप्पणीकारों और ऑनलाइन यूज़र्स ने भी कई अटकलें लगाईं. कुछ लोगों ने कहा कि ख़ामेनेई की चुप्पी युद्धविराम का खुला समर्थन करने से बचने की एक सोची-समझी रणनीति थी, ताकि ईरान के भीतर कट्टरपंथी गुटों की नाराज़गी न झेलनी पड़े.

उनके अंतिम भाषण में 'युद्धविराम' या 'सौदे' जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया. उन्होंने केवल 'जीत' शब्द पर ज़ोर दिया.

ख़ामेनेई की नीति में अक्सर रणनीतिक अस्पष्टता दिखाई देती है. बीते कई संकटों के दौरान उन्होंने खुद को दूर रखा है.

कुछ लोगों ने उनकी मौजूदा अनुपस्थिति को भी इसी पुरानी रणनीति का हिस्सा बताया है, जिसके तहत वह किसी मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने से पहले कट्टरपंथी धड़े के रुख़ का इंतज़ार करते हैं और उसके बाद अपनी स्थिति स्पष्ट करते हैं.

ख़ामेनेई की अनुपस्थिति पर सोशल मीडिया पर लोगों ने क्या कहा? image Getty Images ईरान की सत्ता के भविष्य से जुड़ी अटकलें अभी जारी हैं

ख़ामेनेई की अनुपस्थिति को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर व्यापक चर्चा छिड़ गई. ख़ास तौर पर विदेशों में रह रहे ईरानियों और विपक्षी नेताओं के बीच यह चर्चा अधिक देखी गई.

इस मुद्दे पर इंस्टाग्राम और एक्स पर मीम्स और व्यंग्य से भरे पोस्ट साझा किए गए, जिनमें देश पर संकट के दौरान उनके 'छिपने' को लेकर मज़ाक उड़ाया गया.

कुछ यूज़र्स ने अटकलें लगाईं कि ख़ामेनेई की मृत्यु हो चुकी है या इस्लामिक रिवोल्यूशन गार्ड कोर (आईआरजीसी) ने उनकी जगह देश से जुड़े फ़ैसले लेने का अधिकार अपने हाथ में ले लिया है.

हालांकि कई अन्य लोगों ने यह अनुमान भी लगाया कि ख़ामेनेई की चुप्पी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा थी, जिसे उन्होंने नाटकीय ढंग से फिर से उभरने और प्रतीकात्मक जीत की घोषणा के लिए अपनाया.

सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने यहां तक दावा किया कि ख़ामेनेई अस्थायी रूप से रूस भाग गए हैं, और इसकी तुलना सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद से की गई. हालांकि इस दावे को काफ़ी हद तक ख़ारिज़ कर दिया गया, क्योंकि ख़ामेनेई साल 1989 में सर्वोच्च नेता बनने के बाद से ईरान से बाहर नहीं गए हैं.

उनकी आख़िरी ज्ञात विदेश यात्रा 1989 में उत्तर कोरिया की थी, जब वह ईरान के राष्ट्रपति थे.

ख़ामेनेई की हालिया सार्वजनिक उपस्थिति ने इन अटकलों पर फिलहाल विराम जरूर लगाया है, लेकिन इससे ईरान के अंदर सत्ता और प्रभाव को लेकर चल रहे गुटीय संघर्षों पर उठ रहे सवाल खत्म नहीं हुए हैं.

कई लोगों का कहना है कि 26 जून को दिए गए वीडियो संदेश में ख़ामेनेई थके हुए और कमज़ोर नज़र आए, जिससे उनकी उम्र (86 वर्ष) और सेहत को लेकर नई अटकलें शुरू हो गईं.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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