संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो रहा है और यह 21 अगस्त तक चलेगा. संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने को लेकर सभी दलों से सहयोग की अपील की गई है.
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "सभी दलों की ज़िम्मेदारी है कि संसद सुचारू रूप से चले."
सत्र से एक दिन पहले, रविवार 20 जुलाई को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी.
इस बैठक में इंडिया गठबंधन के नेताओं ने 'ऑपरेशन सिंदूर' और भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया दावों को लेकर संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग की.
पीटीआई के अनुसार, सरकार ने संकेत दिए हैं कि संसद के इस सत्र में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा हो सकती है.
मई महीने के दूसरे हफ्ते में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम के बाद से इंडिया गठबंधन संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया था. अब यह संसद का पहला सत्र है जो संघर्ष विराम के बाद हो रहा है.
सत्र से पहले इंडिया गठबंधन ने शुक्रवार, 19 जुलाई को एक बैठक बुलाई थी.
बैठक के बाद कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा कि गठबंधन संसद में पहलगाम हमला, 'ऑपरेशन सिंदूर', युद्धविराम, भारत-पाक व्यापार संबंधों और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों, साथ ही बिहार में एसआईआर जैसे मुद्दे उठाएगा.
संसदीय मंत्री किरेन रिजिजू क्या बोले
संसद सत्र से ठीक पहले रविवार रात संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो साझा किया. उन्होंने कहा कि संसद को सुचारू रूप से चलाना सभी दलों की साझा ज़िम्मेदारी है.
रिजिजू ने कहा, "राजनीतिक दलों की विचारधारा भले अलग हो, लेकिन संसद ठीक से चले, यह विपक्ष और सरकार दोनों की ज़िम्मेदारी है."
उन्होंने बताया कि विपक्ष ने कई मुद्दे उठाए हैं और सरकार नियमों के तहत उन पर चर्चा को तैयार है. उन्होंने कहा, "हम 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा से कभी नहीं भागे हैं, लेकिन यह चर्चा संसदीय नियमों के दायरे में होनी चाहिए."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में मौजूद रहने और डोनाल्ड ट्रंप के दावों पर बयान को लेकर विपक्ष की मांग पर रिजिजू ने कहा, "अगर प्रधानमंत्री विदेश यात्रा पर नहीं होते हैं, तो सत्र के दौरान आमतौर पर संसद में रहते हैं. लेकिन हर समय संसद में उनकी मौजूदगी संभव नहीं है. जिन मुद्दों पर चर्चा होती है, उन पर संबंधित मंत्री ही जवाब देते हैं."
उन्होंने बताया कि सरकार मानसून सत्र में 17 विधेयक ला सकती है, जिनकी जानकारी जल्द ही दी जाएगी.
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सर्वदलीय बैठक के बाद कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा कि पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावों, पहलगाम हमले और बिहार में एसआईआर मामले पर संसद में बयान देने की मांग की है.
गोगोई ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी की यह नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वे इन प्रमुख मुद्दों पर संसद में बयान दें. हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री अपना नैतिक कर्तव्य निभाएंगे."
उन्होंने कहा कि एसआईआर और चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल उठे हैं. इन पर जवाब न देने से चुनाव प्रक्रिया और भविष्य की निष्पक्षता पर संदेह पैदा हो सकता है.
गोगोई ने मणिपुर की स्थिति पर भी चर्चा की मांग करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री कई छोटे देशों का दौरा कर चुके हैं, लेकिन मणिपुर जैसे छोटे राज्य में जाने से बच रहे हैं."
गौरतलब है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार यह दावा कर चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम अमेरिका की मध्यस्थता से संभव हो पाया. हालांकि भारत सरकार इस दावे को पहले ही खारिज कर चुकी है. भारत का कहना है कि यह सहमति पूरी तरह द्विपक्षीय थी.
शनिवार को इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद कांग्रेस नेता और राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा, "सभी की सहमति से बैठक में आठ प्रमुख मुद्दे तय किए गए हैं — पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर, युद्धविराम और व्यापार को लेकर ट्रंप का बयान, बिहार में एसआईआर और वोटबंदी, विदेश नीति, परिसीमन और देश में दलित, पिछड़े, आदिवासी, महिला और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के मुद्दे."
बाकी दल क्या बोले?सर्वदलीय बैठक में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि 'पहलगाम आतंकी हमले में खुफिया तंत्र की विफलता' को जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल द्वारा स्वीकार किया जाना एक 'गंभीर मुद्दा' है. उन्होंने कहा कि इस पर सरकार को संसद में स्पष्टीकरण देना चाहिए.
राम गोपाल यादव ने ट्रंप के दावों पर कहा, "भारत ने कभी भी पाकिस्तान से जुड़े किसी मुद्दे पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया. ऐसे में सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे कितने सही हैं."
बिहार में लागू एसआईआर नीति पर उन्होंने कहा कि इससे करोड़ों लोगों का मतदान का अधिकार खतरे में पड़ गया है, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए चिंता का विषय है.
बीजू जनता दल (बीजेडी) के नेता सस्मित पात्रा ने कहा कि सरकार को राज्यों में बिगड़ती क़ानून व्यवस्था पर चर्चा से नहीं बचना चाहिए. बीजेडी ने इस मुद्दे को मानसून सत्र में उठाने की बात कही है.
वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद अल्ताफ हुसैन ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में जम्मू-कश्मीर की मौजूदा स्थिति को मुद्दा बनाएगी. उन्होंने कहा, "पहलगाम आतंकी हमले के बाद कश्मीर की ज़मीनी हकीकत वैसी नहीं है जैसी देश के लोगों को बताई जा रही है. मैंने सरकार से कहा है कि निर्दोष स्थानीय लोगों को परेशान न किया जाए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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