युद्धग्रस्त देश यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी. उन्हें बचाने के लिए अभियान चला रहे लोगों ने यह जानकारी बीबीसी को दी है.
निमिषा को एक स्थानीय व्यक्ति और उनके पूर्व बिज़नेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
साल 2017 में महदी का शव पानी की टंकी से बरामद किया गया था.
उन्हें बचाने का एकमात्र रास्ता यही है कि महदी के परिजन उन्हें माफ़ कर दें. निमिषा के परिजन और समर्थकों ने 10 लाख डॉलर दियाह या ब्लड मनी की पेशकश की है, जिसे महदी के परिवार को दिया जाना है. लेकिन ये तभी मुमकिन होगा जब इस रकम को लेने के एवज़ में महदी परिवार निमिषा को माफ़ कर दे.

सेव निमिषा प्रिया काउंसिल के एक सदस्य ने बीबीसी को बताया, "हम अभी भी उनकी माफ़ी या कोई दूसरी मांगों का इंतज़ार कर रहे हैं."
काउंसिल के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता बाबू जॉन ने कहा, "फांसी की तारीख़ अभियोजन निदेशालय के प्रमुख ने जेल प्रशासन को बता दी है. हम अब भी उन्हें बचाने की कोशिशें कर रहे हैं, लेकिन आख़िरकार परिवार को ही माफ़ी देने के लिए राज़ी होना होगा."
भारत के विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बीबीसी से कहा है कि वे अब भी इस मामले की जानकारी की पुष्टि कर रहे हैं.
निमिषा प्रिया साल 2008 में नर्स के तौर पर काम करने के लिए भारत के केरल राज्य से यमन गई थीं.
साल 2017 में महदी का शव मिलने के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया था. 34 साल की निमिषा इस समय यमन की राजधानी सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं.
उन पर आरोप लगाए गए थे कि उन्होंने महदी को 'बेहोशी की दवा की ज़्यादा ख़ुराक' देकर मार डाला और फिर शव के टुकड़े कर दिए.
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निमिषा ने इन आरोपों को ख़ारिज कर दिया था. कोर्ट में उनके वकील ने तर्क दिए थे कि महदी ने उन्हें शारीरिक यातनाएं दीं, उनका सारा पैसा छीन लिया, उनका पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया और बंदूक़ से धमकाया.
निमिषा के वकील ने कोर्ट से कहा था कि वह सिर्फ़ बेहोशी की दवा देकर महदी से वापस अपना पासपोर्ट हासिल करना चाहती थीं लेकिन दुर्घटनावश दवा की मात्रा अधिक हो गई.
साल 2020 में एक स्थानीय अदालत ने उन्हें मौत की सज़ा सुनाई. उनके परिवार ने इस फ़ैसले को यमन के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी लेकिन उनकी अपील को साल 2023 में ख़ारिज कर दिया गया.
जनवरी 2024 में यमन के हूती विद्रोहियों की सुप्रीम पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष महदी अल-मशात ने फांसी की मंज़ूरी दे दी.
यमन की इस्लामी क़ानूनी व्यवस्था जिसे शरिया कहा जाता है, उसके तहत अब उनके पास सिर्फ़ एक आख़िरी उम्मीद पीड़ित परिवार से बची है. वह चाहे तो ब्लड मनी लेकर उन्हें माफ़ी दे सकता है.
घरेलू काम करने वालीं निमिषा की मां साल 2024 से यमन में हैं और अपनी बेटी को बचाने की आख़िरी कोशिशों में लगी हुई हैं.
उन्होंने यमन में रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम को महदी के परिवार से बातचीत के लिए नामित किया है.
'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' नाम का एक समूह जनता से फ़ंड जुटाकर पैसे इकट्ठा कर रहा है. सैमुअल जेरोम ने बताया है कि महदी के परिवार को 10 लाख डॉलर की पेशकश की गई है.
बीते साल दिसंबर में निमिषा के परिजनों ने इस मामले में भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की थी.
इस मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर हर संभव मदद का आश्वासन दिया था.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, "हमें निमिषा प्रिया को यमन में मिली सज़ा की जानकारी है. हम यह समझते हैं कि प्रिया का परिवार सभी मौजूद विकल्पों की तलाश कर रहा है."
जायसवाल ने कहा था, "भारत सरकार इस मामले में हर संभव मदद कर रही है."
बीते साल दिसंबर में ऐसी मीडिया रिपोर्टें भी सामने आई थीं जिनमें दावा किया गया था कि महदी परिवार के साथ बातचीत कर माफ़ी दिलाने की कोशिशें नाकाम होने के बाद मौत की सज़ा सुनाई गई थी.
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प्रशिक्षित नर्स निमिषा प्रिया 2008 में केरल से यमन गई थीं. राजधानी सना में उन्हें एक सरकारी अस्पताल में काम मिल गया.
2011 में निमिषा, टॉमी थॉमस से शादी करने के लिए केरल गईं और फिर वो दोनों यमन चले गए. दिसंबर 2012 में उनकी बेटी हुई.
बीबीसी से थॉमस ने बताया था कि उन्हें कोई ठीक नौकरी नहीं मिली जिसके कारण आर्थिक दिक्क़तें बढ़ गईं और 2014 में वह अपनी बेटी के साथ कोच्चि लौट गए.
उसी साल निमिषा ने कम वेतन वाली नौकरी छोड़ कर एक क्लिनिक खोलने का फैसला लिया. यमन के क़ानून के तहत ऐसा करने के लिए स्थानीय पार्टनर होना ज़रूरी है और यही वो वक़्त था, जब महदी की इस कहानी में एंट्री होती है.
महदी एक कपड़े की दुकान चलाते थे और उनकी पत्नी ने उस क्लिनिक में बच्ची को जन्म दिया था, जहां निमिषा काम करती थीं. जनवरी, 2015 में निमिषा, जब भारत आईं तो महदी उनके साथ आए थे.
निमिषा और उनके पति ने अपने दोस्तों और परिवार से पैसे लेकर क़रीब 50 लाख रुपये की राशि जुटाई और एक महीने बाद निमिषा अपना क्लिनिक खोलने यमन लौट गईं.
अभी थॉमस और बेटी को वापस बुलाने की कोशिश शुरू ही हुई थी कि यमन में गृह युद्ध शुरू हो गया.
उस दौरान भारत ने यमन से अपने 4,600 नागरिकों और 1,000 विदेशी नागरिकों को बाहर निकाला पर निमिषा नहीं लौटीं.
लेकिन निमिषा के हालात जल्द ही ख़राब होने लगे और उन्होंने महदी के बारे में शिकायतें करनी शुरू कर दीं.
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निमिषा की मां प्रेमा कुमारी की ओर से 2023 में दिल्ली हाई कोर्ट में डाली गई याचिका में कहा गया है, "महदी ने निमिषा के घर से उनकी शादी की तस्वीरें चुरा ली थीं और बाद में इससे छेड़छाड़ कर ये दावा किया कि उन्होंने निमिषा से शादी कर ली है."
इसमें ये भी कहा गया कि महदी ने कई मौकों पर निमिषा को धमकियां दीं और "उनका पासपोर्ट भी रख लिया और निमिषा ने जब इसकी शिकायत पुलिस में की तो पुलिस ने उलटे उन्हें ही छह दिन तक जेल में बंद कर दिया था."
निमिषा के पति थॉमस को 2017 में महदी की हत्या की जानकारी मिली थी.
थॉमस को यमन से ख़बर मिली कि 'निमिषा को पति की हत्या' के मामले में गिरफ़्तार कर लिया गया है. थॉमस के लिए यह चौंकाने वाला था क्योंकि निमिषा के पति तो वह ख़ुद थे.
महदी का क्षत-विक्षत शव पानी की टंकी से मिला था और उसके एक महीने बाद निमिषा को यमन की सऊदी अरब से लगती सीमा से गिरफ़्तार किया गया था.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 'दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि महदी ने क्लिनिक के स्वामित्व वाले दस्तावेज़ में छेड़छाड़ कर उसे अपना बताया था. क्लिनिक से वह पैसे भी लेने लगे और निमिषा का पासपोर्ट रख लिया था.'
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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