राजस्थान के दौसा जिले में मेधावी छात्राओं को मिलने वाली स्कूटी वितरण योजना में पिछले डेढ़ साल से गंभीर देरी का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार, देवनारायण योजना और कालीबाई स्कूटी योजना के तहत 90 स्कूटियां, जिनकी कुल कीमत लगभग 58.5 लाख रुपये थी, सरकारी जमीन पर बने एक गोदाम में बंद पड़ी थीं।
नगर परिषद द्वारा गोदाम को 16 जून 2025 को दोबारा सील कर दिया गया था। इसी वजह से स्कूटियों का छात्राओं में समय पर वितरण नहीं हो सका। नगर परिषद के एटीपी नरेश बैसला ने बताया कि मेधावी छात्राओं को स्कूटी मिलने से उन्हें शिक्षा में सहूलियत और प्रोत्साहन मिलना था, लेकिन गोदाम के सील होने के कारण योजना प्रभावित हुई।
घटना के बाद जिला कलेक्टर के निर्देश पर गोदाम का सील दो घंटे के लिए खोला गया और सभी स्कूटियां बाहर निकाली गई। अधिकारियों ने बताया कि स्कूटियों का जल्द से जल्द वितरण किया जाएगा ताकि छात्राओं को उनकी उपयुक्त शिक्षा और सुविधाओं में देरी न हो।
स्थानीय लोगों और शिक्षा से जुड़े संगठनों ने इस मामले पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस तरह की देरी से न केवल योजनाओं की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है, बल्कि छात्राओं के उत्साह और प्रोत्साहन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि भविष्य में ऐसी योजनाओं में समयबद्धता और निगरानी सुनिश्चित की जाए।
विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी योजनाओं का उद्देश्य लाभार्थियों तक सुविधाओं का समय पर और पारदर्शी वितरण है। गोदाम में लंबे समय तक सामग्री को बिना उपयोग के रखे रखना और समय पर वितरण न कर पाना योजनाओं की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
नगर परिषद और जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस तरह की अनावश्यक देरी नहीं होगी। स्कूटियों का वितरण जल्द ही मेधावी छात्राओं में किया जाएगा और इसके लिए विशेष टीमें तैयार की गई हैं। साथ ही, योजना की निगरानी और गोदामों की स्थिति का नियमित निरीक्षण किया जाएगा।
इस मामले ने यह संदेश दिया कि सरकारी योजनाओं के तहत आने वाली सुविधाओं और संसाधनों की सुरक्षा, निगरानी और समय पर वितरण अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जिला प्रशासन ने यह आश्वासन भी दिया है कि इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में छात्राओं को मिलने वाली सुविधाओं में किसी भी प्रकार की देरी नहीं होगी।
गोदाम से स्कूटियों की बाहर निकासी के बाद अब प्रशासन की प्राथमिकता इन्हें यथाशीघ्र छात्राओं तक पहुंचाना है। अधिकारी और कर्मचारी इस प्रक्रिया में पूरी सावधानी बरत रहे हैं ताकि योजना का उद्देश्य सफलतापूर्वक पूरा हो सके और छात्राओं को शिक्षा में सहूलियत प्राप्त हो।
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