राजस्थान में बिजली चोरी का सिलसिला थम नहीं रहा है। पिछले सवा साल में 35 हजार लोगों ने 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की बिजली चोरी की है। इसमें से सिर्फ एक चौथाई राशि ही वसूल की जा सकी है। चोरी हुई बिजली का बोझ बिजली टैरिफ दर में जोड़ा जा रहा है (जो वसूल नहीं हो रही)। इससे ईमानदार उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ रहा है। साथ ही डिस्कॉम की आर्थिक कमर टूट रही है और घाटा बढ़ रहा है। डिस्कॉम की विजिलेंस विंग की ओर से की गई छापेमारी में ऐसे कई मामले पकड़े गए, जहां एक ही उपभोक्ता या प्रतिष्ठान ने अकेले डेढ़ करोड़ रुपए तक की बिजली चोरी कर ली। यह परेशान करने वाली स्थिति सिर्फ जयपुर डिस्कॉम के 12 जिलों की है, अन्य जिलों में भी स्थिति गंभीर है।
कोई कार्रवाई नहीं
इंजीनियरों (ऑपरेशन-मेंटेनेंस से जुड़े) के क्षेत्र में चोरी होती रही है, लेकिन उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगती। जब विजिलेंस विंग कार्रवाई करने पहुंची तो ऐसे इंजीनियर जाग गए। सवाल उठता है कि विजिलेंस विंग द्वारा पकड़ी जा रही बड़ी बिजली चोरी को इंजीनियर और उनकी टीम क्यों नहीं पकड़ पा रही है?
यहां चोरी के बड़े मामले
जयपुर के शिकारपुरा में स्टार मेटल मेसर्स इस्माइल रबर इंडस्ट्रीज में 1.48 करोड़ रुपए की बिजली चोरी पकड़ी गई। टोंक में 282 जगहों पर 1 करोड़ रुपए की बिजली चोरी पकड़ी गई। जयपुर से गट्टू तक हाईवे किनारे 41 होटल और ढाबों में 64 लाख रुपए की चोरी पकड़ी गई। भवानीमंडी, बूंदी, सवाई माधोपुर, अलवर और भिवाड़ी में 288 जगहों पर 83 लाख रुपए की बिजली चोरी पकड़ी गई। जयपुर में कई होटल और रेस्टोरेंट में 67 लाख रुपए से ज्यादा की चोरी पकड़ी गई। सिद्धार्थ डायग्नोस्टिक सेंटर में 20 लाख रुपए की चोरी। जेएनएम कॉलेज कैंपस में 19 लाख रुपए की चोरी। होटल जय पैलेस में 17 लाख रुपए की चोरी। जुगलपुरा में कान्हा रेस्टोरेंट में 14 लाख रुपए की बिजली चोरी पकड़ी गई।
चोरी का जाल
35217 मामलों में वीसीआर भरी गई।
31193 मामले बिजली चोरी के हैं।
4024 मामलों में दुरुपयोग किया गया।
102 करोड़ रुपए की चोरी पकड़ी गई।
*इनमें जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, टोंक, करौली, कोटा, झालावाड़, बारां, बूंदी शामिल हैं।
क्यों नहीं हुई जांच?
1- प्रभावी निगरानी व्यवस्था का अभाव
2- कई इलाकों में अधिकारियों की मिलीभगत के आरोप
3- तकनीकी निगरानी (जैसे स्मार्ट मीटरिंग) अभी भी सीमित है
4- कार्रवाई की दर कम है, सजा का डर नहीं है, क्योंकि चालान कम मामलों में पेश किए जाते हैं।
ऐसे हो रहे हैं उपभोक्ता प्रभावित
1- बिजली कंपनियों का घाटा 1 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
2- बिजली खरीद की राशि चुकाने के लिए लगातार कर्ज लिया जा रहा है। यह कर्ज राशि जनता से बढ़ी हुई बिजली दरों के रूप में ली जा रही है।
3- बिजली दर निर्धारण के दौरान बिजली चोरी और बर्बादी का भी आकलन किया जाता है। डिस्कॉम द्वारा खरीदी गई बिजली का बीस प्रतिशत हिस्सा चोरी और बर्बादी में बर्बाद हो रहा है।
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