करणी माता मंदिर की स्थापना अलवर के महाराजा बख्तावर सिंह ने की थी। इतिहासकारों के अनुसार, महाराजा बख्तावर सिंह ने शिकार करते समय मिले श्राप से मुक्ति मिलने के बाद इस मंदिर की स्थापना की थी। अरावली की घाटियों में स्थित इस मंदिर के आसपास सरिस्का के तीन बाघ भी विचरण करते हैं। करणी माता को चारण समुदाय की देवी के रूप में पूजा जाता है।
पीर ने दिया था श्राप: इतिहासकार हरिशंकर गोयल बताते हैं कि शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर बाला किला स्थित करणी माता मंदिर का निर्माण महाराजा बख्तावर सिंह ने करवाया था। इसके बाद इसे महंत को पूजा के लिए भेंट कर दिया गया था। तब से इसी परिवार की पीढ़ियां मंदिर में पूजा करती आ रही हैं। उन्होंने बताया कि एक दिन महाराजा बख्तावर सिंह शिकार के लिए गए थे, इस दौरान उन्होंने एक जानवर का शिकार किया। महाराज द्वारा शिकार किया गया जानवर पीर के तकिये पर गिर गया। यह देखकर पीर क्रोधित हो गए और महाराजा बख्तावर सिंह से तकिया साफ करने को कहा, लेकिन महाराजा ने पीर की बात नहीं मानी और आगे बढ़ गए। अपनी बात अनसुनी होते देख पीर ने महाराजा बख्तावर सिंह को श्राप दे दिया।
महारानी की सलाह पर माता की आराधना: इसके कारण महाराजा बख्तावर सिंह की तबीयत बिगड़ने लगी और कुछ समय बाद महाराजा को पेट में तेज दर्द होने लगा। तमाम उपचार करने के बाद भी जब महाराजा को पेट दर्द से आराम नहीं मिला तो महाराजा बख्तावर सिंह की संरक्षिका और महारानी रूप कंवर ने उन्हें करणी माता की आराधना करने को कहा। महारानी रूप कंवर भी बीकानेर के देशनोक में स्थित करणी माता की उपासक थीं। महाराजा बख्तावर सिंह ने संरक्षिका और महारानी रूप कंवर की बात मानकर करणी माता की आराधना शुरू कर दी। ऐसी मान्यता थी कि अगर करणी माता किसी की सुन लेती हैं तो उस व्यक्ति को एक सफेद चील प्रकट होता है। महाराजा बख्तावर सिंह द्वारा करणी माता की पूजा करने के कुछ समय बाद, महाराजा बख्तावर सिंह ने महल पर एक सफेद चील को देखा। इसके बाद राजा के स्वास्थ्य में सुधार हुआ।
इतिहासकार हरिशंकर गोयल ने बताया कि जब राजा का स्वास्थ्य पूरी तरह ठीक हो गया, तो महाराज के दीवान उम्मेद सिंह ने बीकानेर के देशनोक स्थित करणी माता मंदिर में चांदी के दरवाजे भेंट किए। महाराज बख्तावर सिंह ने अलवर में करणी माता मंदिर का निर्माण कराया था। यह मंदिर वर्तमान में सरिस्का टाइगर रिजर्व की बफर रेंज में स्थित है। मंदिर के रास्ते में कई बार बाघ भी देखे गए हैं। अलवर स्थित करणी माता मंदिर के महंत लोकेश ने बताया कि मंदिर में भक्तों को माता के दर्शन केवल चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के दौरान ही होते हैं। इस दौरान प्रतिदिन हजारों भक्त मंदिर परिसर में पहुँचकर करणी माता के दर्शन करते हैं। जिला प्रशासन ने सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक भक्तों को दर्शन की अनुमति दी है। भक्त यहाँ आकर अपनी मन्नत का धागा बाँधते हैं।
You may also like
रात को सोनेˈ से पहले खा लें लहसुन की 1 कली सुबह होगा ऐसा कमाल कि नहीं होगा यकीन
आज का राशिफल 28 जुलाई 2025: मेष, कन्या और धनु को वसुमान योग से होगा धन लाभ, मन की मुराद हो सकती है पूरी
चलती ट्रेन में महिला की चीख ने यात्रियों को चौंका दिया
प्रेगनेंट पत्नी कोˈ 50 फीट ऊंची पहाड़ी से धक्का देकर समझा काम खत्म लेकिन जो हुआ उसके बाद पति की भी उड़ गई होश
मिल रहे हैंˈ ये 5 संकेत तो समझ जाइए आपका बच्चा है जीनियस डॉक्टर ने बताया कैसे करें पहचान