राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हुई मुलाकात ने राज्य की राजनीति में नई हलचल मचा दी है। इन मुलाकातों को राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक हालात, मंत्रिमंडल विस्तार, जाट समुदाय को लुभाने की रणनीति और उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद पैदा हुए राजनीतिक शून्य को भरने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी से भजनलाल शर्मा की मुलाकात
मंगलवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जो करीब 45 मिनट तक चली। इस दौरान मुख्यमंत्री ने डबल इंजन सरकार के तहत राजस्थान में चल रहे विकास कार्यों की जानकारी दी। मुलाकात के बाद भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व और निरंतर सहयोग से राजस्थान विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में हमारी सरकार ने सभी बाधाओं को पार करते हुए राज्य को प्रगति के पथ पर अग्रसर किया है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार किसानों, युवाओं, महिलाओं, गरीबों और वंचित वर्गों को न्याय और सम्मानजनक जीवन प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मोदी ने भविष्य में राजस्थान को और अधिक सहयोग देने का आश्वासन दिया है। इस बैठक में झालावाड़ के पिपलोदी गाँव में हुए स्कूल हादसे पर भी चर्चा हुई, जिस पर प्रधानमंत्री ने अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं। यह हादसा वसुंधरा राजे के गृह क्षेत्र झालावाड़ में हुआ, जहाँ से उनके पुत्र दुष्यंत सिंह सांसद हैं। इस घटना ने राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए थे, जिस पर प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से प्रतिक्रिया ली।
वसुंधरा राजे ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की
सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात को राजस्थान की राजनीति में उनकी स्थिति और प्रभाव को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकीं वसुंधरा भाजपा में एक प्रभावशाली नेता मानी जाती हैं। जाट समुदाय पर उनकी अच्छी पकड़ है और पार्टी उनके अनुभव का लाभ उठाना चाहती है। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में वसुंधरा ने सरकार और संगठन में अपने समर्थकों के लिए उचित स्थान की माँग की।
वसुंधरा राजे पिछले डेढ़ साल से अपने गुट के नेताओं को मंत्रिमंडल और संगठन में अहम ज़िम्मेदारियाँ दिलाने की कोशिश में लगी हुई हैं। भजनलाल शर्मा को 2023 में मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद उनके समर्थकों में कुछ असंतोष देखा गया था। ऐसे में उनकी इस मुलाक़ात को पार्टी नेतृत्व के साथ समन्वय स्थापित करने और अपने समर्थकों के लिए जगह सुनिश्चित करने की दिशा में देखा जा रहा है।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े का असर
बता दें, इन मुलाक़ातों को हाल ही में पार्टी उपाध्यक्ष जगदीप धनखड़ के इस्तीफ़े से भी जोड़कर देखा जा रहा है। धनखड़ जाट समुदाय से आते हैं, उनके इस्तीफ़े ने राजस्थान में भाजपा के लिए एक राजनीतिक शून्य पैदा कर दिया है। जाट समुदाय राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक प्रभावशाली वोट बैंक है। धनखड़ के इस्तीफ़े के बाद भाजपा के सामने जाट समुदाय को लुभाने की चुनौती है। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने दोनों नेताओं से इस मुद्दे पर चर्चा की और सत्ता व संगठन में जाट समुदाय को समायोजित करने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, धनखड़ के इस्तीफे के बाद, उपराष्ट्रपति पद के लिए सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का नाम चर्चा में है। हालाँकि, वसुंधरा राजे और ओम माथुर के बीच पुरानी प्रतिद्वंद्विता जगजाहिर है। ऐसे में भाजपा के लिए वसुंधरा को मनाना महत्वपूर्ण हो जाता है, खासकर तब जब पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी कर रही हो। इस पद के लिए वसुंधरा का नाम भी चर्चा में था, जिससे उनकी स्थिति और मजबूत होती दिख रही है।
मंत्रिमंडल विस्तार और संगठनात्मक बदलाव
इन बैठकों के बाद, राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज़ हो गई हैं। माना जा रहा है कि भजनलाल शर्मा की सरकार में जल्द ही नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं, जिसमें वसुंधरा समर्थकों को भी जगह मिल सकती है। इसके अलावा, बोर्ड और निगमों में राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है। भाजपा संगठन में भी एक नई सूची जारी होने की संभावना है, जिसमें सभी गुटों में संतुलन बनाने की कोशिश की जाएगी।पार्टी सूत्रों का कहना है कि राजस्थान की प्रगति का आकलन करने के लिए दिल्ली से एक-दो वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा जा सकता है। इसके साथ ही, केंद्रीय मंत्रियों के दौरे और मीडिया में सकारात्मक खबरें भी इस रणनीति का हिस्सा हो सकती हैं। बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए, भाजपा राजस्थान के नेताओं को अतिरिक्त ज़िम्मेदारियाँ सौंप सकती है।
झालावाड़ हादसे पर चर्चा
इसके अलावा, बताया जा रहा है कि झालावाड़ के पिपलोदी गाँव में हाल ही में हुए स्कूल हादसे की पूरी रिपोर्ट भी प्रधानमंत्री को दी गई। इस हादसे ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी ध्यान आकर्षित किया था। प्रधानमंत्री ने अपने एक्स अकाउंट पर इस घटना पर दुख व्यक्त किया था। वसुंधरा राजे के गृह क्षेत्र में हुई इस घटना पर प्रधानमंत्री ने दोनों नेताओं से विस्तृत चर्चा की।
वसुंधरा राजे की आक्रामक रणनीति?
गौरतलब है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे को एक सर्वमान्य नेता माना जाता है। जाट समुदाय पर उनकी मज़बूत पकड़ और लंबा राजनीतिक अनुभव उन्हें पार्टी में अहम स्थान दिलाता है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद पार्टी उनके अनुभव का लाभ उठाकर जाट समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रही है। अगर उपाध्यक्ष पद के लिए राजस्थान से किसी नेता का चयन होता है, तो वसुंधरा की राय को अहमियत दी जा सकती है।
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