राजस्थान की ऐतिहासिक भूमि में बसा भानगढ़ किला सिर्फ पुरातत्व प्रेमियों के लिए ही नहीं, बल्कि रहस्य और रोमांच के जिज्ञासुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। जयपुर और अलवर के बीच अरावली की पहाड़ियों में स्थित यह किला अपनी वास्तुकला और इतिहास के लिए जितना प्रसिद्ध है, उतना ही बदनाम है अपनी डरावनी कहानियों, रहस्यमयी घटनाओं और सदियों पुराने श्राप के लिए।भानगढ़ को भारत का सबसे भयावह और भूतिया किला कहा जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने भी इसे "रात में प्रवेश वर्जित" क्षेत्र घोषित किया है। लेकिन सवाल यह उठता है—क्या इस किले पर लगे श्राप से कभी मुक्ति मिल पाएगी? और क्या सच में इस किले का एक ऐसा भाग है जहाँ से आज तक कोई लौटकर नहीं आया?
श्राप की शुरुआत: तांत्रिक और राजकुमारी की कथाभानगढ़ के रहस्य की जड़ें एक दुखद प्रेमकथा में छुपी हैं। कहा जाता है कि सिंधिया वंश की राजकुमारी रत्नावती अपूर्व सुंदरता की धनी थीं। उस समय एक तांत्रिक, जिसका नाम सिंघिया बताया जाता है, रत्नावती के रूप पर मोहित हो गया। उसने तंत्र-मंत्र के माध्यम से राजकुमारी को वश में करने की कोशिश की, लेकिन रत्नावती ने उसकी चाल को भांप लिया और उसका जादुई तेल जमीन पर गिरा दिया। इससे तांत्रिक की मौत हो गई, लेकिन मरने से पहले उसने पूरे भानगढ़ को श्राप दे डाला कि यह नगर नष्ट हो जाएगा और यहाँ रहने वाले सभी लोग असमय मृत्यु को प्राप्त होंगे।कहते हैं कि तांत्रिक के श्राप के कुछ ही समय बाद भानगढ़ पर हमला हुआ और पूरा नगर खंडहर बन गया। इसके बाद से ही यह स्थान वीरान हो गया और रात के समय यहां रहस्यमयी गतिविधियों की कहानियां सुनाई देने लगीं।
किले का सबसे डरावना भाग: रानी महल और तहखानाभानगढ़ किले में कई भवन हैं, लेकिन जिन स्थानों को सबसे अधिक भूतिया और खौफनाक माना जाता है, उनमें से एक है रानी महल और उसके नीचे स्थित पुराना तहखाना। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस स्थान से आज तक जो भी रात में गया, वह कभी वापस नहीं लौटा।रानी महल के खंडहरों में अजीब सी सन्नाटे भरी आवाजें, धीमे पदचाप और स्त्रियों की चीखें सुनाई देने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं तहखाना, जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है, उसे लेकर मान्यता है कि वहां आत्माओं की ऊर्जा सबसे ज्यादा सक्रिय रहती है।कुछ साहसी पर्यटकों ने वहां रात में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन उनमें से कई मानसिक संतुलन खो बैठे या अस्वस्थ होकर लौटे। यह डरावना भाग आज भी स्थानीय लोगों के लिए पूरी तरह निषिद्ध है।
क्या श्राप कभी टूट पाएगा?वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह कहा जाता है कि भानगढ़ के खंडहरों में भारी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा और ध्वनि प्रतिध्वनि का विचित्र संतुलन है, जो भ्रम उत्पन्न करता है। लेकिन यह व्याख्या हर उस अनुभूति को समझा नहीं पाती, जो वहां जाने वाले लोगों ने अनुभव की है।आज भी भानगढ़ किले में सूर्यास्त के बाद प्रवेश निषिद्ध है। ASI द्वारा लगाई गई चेतावनी बोर्ड पर साफ-साफ लिखा है कि सूरज ढलने के बाद यहां जाना खतरनाक है। यह निर्णय केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि कई वर्षों के अनुभवों और रहस्यमयी घटनाओं पर आधारित है।आध्यात्मिक गुरुओं और साधकों द्वारा समय-समय पर इस किले को शुद्ध करने की कोशिशें की गईं, लेकिन कोई भी ठोस परिणाम सामने नहीं आया। किले पर तांत्रिक प्रभाव की छाया आज भी अनुभव की जा सकती है।
You may also like
बाल झड़ना होˈ या गंजापन… इस घरेलू फार्मूले ने मचाई ऐसी धूम कि डॉक्टर भी सोच में पड़ गए
हल्दी के कई फ़ायदे बताए जाते हैं, लेकिन क्या इससे कोई नुक़सान भी है
1936 में जन्मˈ और 1936 में ही मौत फिर भी उम्र 70 साल? सबको चकरा देती है ये पहेली
पलवल प्रशासन ने सूचना विभाग की गाड़ी से दिव्यांग काे पहुंचाया परीक्षा केंद्र
सोनीपत हरियाली तीज से संस्कृति और परिवारिक एकता को संबल: डा. रीटा शर्मा