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सेहत भी, कमाई भी! राजस्थान और गुजरात में ऊंटनी के दूध से होगा कमाल!, जानिए सरकार की इ अनोखी पहल की पूरी डिटेल

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अब देश में ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर शोध होगा। राजस्थान और गुजरात सरकारें मिलकर इस दिशा में एक नई योजना लाने की तैयारी कर रही हैं। ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों पर पहले भी कुछ संस्थानों द्वारा कई बार शोध किया जा चुका है, लेकिन अब सरकारी स्तर पर शोध करके ऊंटनी के दूध के गुणों से बहुआयामी लाभ उठाया जाएगा। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में अहमदाबाद में आयोजित सहकार संवाद कार्यक्रम में ऊंटनी के दूध के गुणों के बारे में घोषणा भी की।

ऊंट पालन और संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा
ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों का उपयोग न केवल स्वास्थ्य क्षेत्र में लाभकारी होगा, बल्कि इससे ऊंट पालकों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। इस योजना के क्रियान्वयन से ऊंट पालन को बढ़ावा मिलेगा और ऊंट नस्ल के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।

राजस्थान-गुजरात मिलकर लाएंगे नई योजना
सहकार संवाद में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य ऊंट पालकों को दूध के बेहतर दाम दिलाना है। गुजरात की मिरल बहन ने ऊँट के दूध के व्यवसाय से 360 परिवारों को जोड़ा, जिससे उन्हें अच्छी कमाई हो रही है। इस क्षेत्र में और शोध की आवश्यकता पर बल देते हुए, शाह ने कहा कि तीन संस्थानों ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। यह योजना न केवल ऊँट पालकों के लिए आर्थिक अवसर खोलेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी योगदान देगी।

गृह मंत्रालय से बड़ा सहकारिता मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री शाह ने कहा कि देश का गृह मंत्री होना बहुत बड़ी बात है, क्योंकि सरदार पटेल साहब भी गृह मंत्री थे। लेकिन जब मुझे सहकारिता मंत्री बनाया गया, तो मेरा मानना है कि उस दिन मुझे गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग मिला। यह एक ऐसा मंत्रालय है जो देश के गरीबों, किसानों, गाँवों और पशुओं के लिए काम करता है।

डेयरी क्षेत्र में आएंगे कई बदलाव
सरकार कई योजनाओं के माध्यम से डेयरी क्षेत्र में बदलाव ला रही है। आने वाले समय में सहकारी डेयरियों में गोबर प्रबंधन, पशु आहार और स्वास्थ्य प्रबंधन और गोबर के उपयोग से आय बढ़ाने की दिशा में काम किया जाएगा। सहकारी डेयरी में गोबर का उपयोग जैविक खाद और गैस बनाने में किया जाएगा। गाँव में दुग्ध उत्पादन से जुड़े 500 परिवारों में से 400 परिवारों को सहकारिता से जोड़ा जाएगा। उनके मवेशियों के गोबर का काम भी सहकारिता को दिया जाएगा। अगले 6 महीनों में ये सभी योजनाएँ मूर्त रूप लेकर सहकारी संस्थाओं तक पहुँच जाएँगी।

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