भोपाल । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक निजी कॉलेज की छात्राओं से जुड़े यौन शोषण, ब्लैकमेलिंग और जबरन धर्म परिवर्तन के सनसनीखेज मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सख्त कदम उठाए हैं। आयोग ने शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश दिया है कि मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच कराई जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
इसके साथ ही एनएचआरसी ने पीड़ित छात्राओं को मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जा रही 50,000 रुपये की मदद को नाकाफी बताया और आदेश दिया कि प्रत्येक पीड़िता को पांच लाख और नाबालिग पीड़िता को छह लाख रुपये की अंतरिम राहत दी जाए।
दरअसल, कुछ मुस्लिम युवकों ने भोपाल के एक निजी कॉलेज की छात्राओं को पहले दोस्ती में फंसाया, फिर उनके साथ बलात्कार किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया गया। इसके बाद धर्म परिवर्तन और निकाह के लिए मजबूर करने की कोशिश की गई। आरोपियों ने अपनी असली पहचान भी छुपाई थी। आयोग ने इसे एक संगठित और योजनाबद्ध अपराध करार दिया है, जिसमें अन्य राज्यों तक नेटवर्क फैलने की आशंका जताई गई है।
13 से 17 मई 2025 के बीच एनएचआरसी की टीम ने भोपाल पहुंचकर संबंधित कॉलेज, पुलिस थाने, क्लब-90 और पीड़ितों के घरों का दौरा किया। जांच में कई गंभीर खामियां उजागर हुईं। मसलन, पुलिस ने डायल 100 पर की गई पीड़िता की कॉल को नजरअंदाज किया। बलात्कार की FIR को मामूली धारा में दर्ज किया गया। डिजिटल साक्ष्य नहीं जुटाए गए। क्लब-90 को अपराध के लिए इस्तेमाल किया गया, बाद में अवैध रूप से गिरा दिया गया। कॉलेज में एंटी-रैगिंग या महिला सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। पीड़िताओं को पढ़ाई छोड़नी पड़ी, वे अब भी डरी हुई हैं।
आयोग ने कहा है कि छात्राओं की पढ़ाई नए कॉलेज में शुरू करवाई जाए, पूरी सुरक्षा दी जाए और एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग की छात्राओं की पुरानी छात्रवृत्तियाँ बहाल की जाएं। साथ ही, उनका पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए।
एनएचआरसी ने पुलिस की कार्यशैली को लापरवाही भरी बताते हुए कहा है कि जिम्मेदार अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। क्लब-90 की फॉरेंसिक जांच कराई जाए और पीड़ित छात्राओं को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराया जाए ताकि वे आगे आ सकें।
एनएचआरसी ने कहा कि यह सिर्फ यौन उत्पीड़न नहीं, बल्कि मानव तस्करी, मानसिक शोषण और जबरन धर्म परिवर्तन जैसे गंभीर अपराधों की श्रृंखला है। यह एक खतरनाक सामाजिक पैटर्न बनता जा रहा है, जिससे कई युवतियों का जीवन प्रभावित हो रहा है।
25 जुलाई तक मांगी गई रिपोर्ट
आयोग ने राज्य सरकार से इस मामले में 25 जुलाई 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि यदि कोई एनजीओ या संस्था पीड़ित छात्राओं के काउंसलिंग, पुनर्वास या शिक्षा में मदद करना चाहे, तो राज्य सरकार पूरा सहयोग करे।
You may also like
Political Power Of Uddhav And Raj Thakerey: अकेले दम पर महाराष्ट्र की सियासत में कद्दावर नहीं बन सके उद्धव और राज ठाकरे, जानिए क्या रहा दोनों का सफरनामा?
Chaturmas 2025 : 6 जुलाई से चातुर्मास प्रारम्भ, भगवान श्रीहरि विष्णु का योग निद्रा काल है चातुर्मास
'वॉर 2' पर बोले अनुपम भट्टाचार्य, 'यह करियर का नया मोड़'
अचानक कार्डियक डेथ के खतरे को पहचानने में मददगार नई एआई तकनीक
पटना में उद्योगपति खेमका की हत्या दुखद, कानूनअपराधियों को बख्शेगा नहीं: नीरज कुमार