
भोपाल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जल, प्रकृति, पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए पूरे देश में चलाए जा रहे एक पेड़ मां के नाम 2.0 अभियान को मध्य प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मिशन के रूप में चला रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्रकृति, पर्यावरण और जल संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रदेश के 16 जिलों में मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थलों की भूमि पर पौधरोपण करेगी और मनरेगा परिषद ने तैयारी भी शुरू कर दी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने पौधरोपण के संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
जनसम्पर्क अधिकारी सोनिया परिहार ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि जारी आदेश के अनुसार, मां नर्मदा परिक्रमा पथ पर स्थित आश्रय स्थलों के लगभग 233 स्थानों की लगभग 1000 एकड़ भूमि पर 43 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से लगभग 7.50 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा। पौधरोपण का कार्य 15 जुलाई से शुरू होगा जो 15 अगस्त तक चलेगा। इन क्षेत्रों में पौध-रोपण के लिए बकायदा अभियान चलाया जाएगा।
16 जिलों में मां नर्मदा आश्रय स्थलों पर होगा पौधरोपण
उन्होंने बताया कि मां नर्मदा आश्रय स्थलों पर जिन जिलों में पौधरोपण किया जाएगा, उन 16 जिलों में अनूपपुर, डिंडोरी, मण्डला, जबलपुर, नरसिंहपुर, सिवनी, बड़वानी, अलीराजपुर, धार, नर्मदापुरम, रायसेन, सीहोर, हरदा, देवास, खंडवा एवं खरगोन शामिल हैं।
ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से की जाएगी निगरानी
मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थलों की भूमि पर पौधरोपण का कार्य सही ढ़ग से हो रहा है या नहीं पौधे कहां पर लगे हैं या नहीं। मनरेगा परिषद द्वारा संपूर्ण पौध-रोपण कार्य की ड्रोन-सैटेलाइट इमेज से बकायदा निगरानी भी की जाएगी। आश्रय स्थलों पर भूमि की उपलब्धता के अनुसार दो श्रेणियों में पौधरोपण का कार्य किया जाएगा। प्रदेश में 136 ऐसे स्थान हैं जहां पर 2 एकड़ से अधिक भूमि है। यहां पर 2.15 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इसी तरह 97 ऐसे स्थान हैं जहां पर 1 एकड़ से अधिक और 2 एकड़ से कम भूमि है वहां पर 5.50 लाख पौधों का रोपण किया जाएगा।
पौधरोपण की खासियत
पौधरोपण के आश्रय स्थलों का चयन सिपरी सॉफ्टवेयर से किया जाएगा। साथ ही यदि सिपरी सॉफ्टवेयर पौधरोपण के लिए जगह को उपयुक्त नहीं बताता है तो उस स्थान पर पौधरोपण नहीं किया जाएगा। सॉफ्टवेयर से यह भी देखा जाएगा कि जिस जगह पर पौधरोपण किया जा रहा है उस जगह पर पानी का स्थायी स्रोत हो।- ऐसे स्थल जहां पर 2 एकड़ या अधिक भूमि उपलब्ध है, वहां पर सामान्य पद्धति से पौधरोपण का कार्य किया जाएगा।- 2 एकड़ से कम एवं 1 एकड से अधिक भूमि उपलब्ध है वहां मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा।- जहां पौधरोपण किया जाना है, वहां पौधों की सुरक्षा के लिए तार फेंसिंग की जाएगी।- 14 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा गड्ढे की खुदाई और तार की फेंसिंग का कार्य- मां नर्मदा परिक्रमा पथ के आश्रय स्थलों की भूमि पर पौधरोपण का कार्य शुरू होने से पहले गड्ढे की खुदाई, तार की फेंसिंग, सिपरी सॉफ्टवेयर द्वारा प्रस्तावित भूमि का स्थल निरीक्षण, भौतिक सत्यापन, तकनीकी व प्रशासकीय स्वीकृति जैसे कार्य पूरे कर लिए जाएंगे। 15 जुलाई से पौधरोपण का कार्य शुरू होगा।
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